Join us on a literary world trip!
Add this book to bookshelf
Grey
Write a new comment Default profile 50px
Grey
Subscribe to read the full book or read the first pages for free!
All characters reduced
गुफ़्तगू - दिल की बात लफ़्ज़ों में (सपना की कलम से ) - cover

गुफ़्तगू - दिल की बात लफ़्ज़ों में (सपना की कलम से )

Sapna Chauhan

Publisher: Libresco Feeds Pvt Ltd

  • 0
  • 0
  • 0

Summary

यह किताब मेरी 21 कविताओं का संग्रह है, जो जीवन और प्रेम पर आधारित हैं। ये कविताएं मेरे दिल के टुकड़े हैं, जो कागज़ पर उतरे हैं। सभी कविताएं इस तरह लिखी गई हैं कि हर कोई उन्हें आसानी से समझ सके, पारंपरिक कविता की तरह जटिल नहीं हैं। तो इन कविताओं का अपने दिल और आत्मा से आनंद लें।
Available since: 02/05/2025.
Print length: 44 pages.

Other books that might interest you

  • गजराज-विजय: मगध से यवन तक - जब दो साम्राज्य टकराए और हाथियों ने इतिहास का रुख मोड़ दिया। - cover

    गजराज-विजय: मगध से यवन तक - जब...

    Gaurav Garg

    • 0
    • 0
    • 0
    This audiobook is narrated by an AI Voice.   
    ईसा पूर्व चौथी शताब्दी। विश्व विजेता सिकंदर की मृत्यु ने प्राचीन जगत को सत्ता संघर्ष और अनिश्चितता की आग में झोंक दिया था। इसी उथल-पुथल के बीच, भारतवर्ष में, एक युवा और तेजस्वी योद्धा, चंद्रगुप्त, अपने महाज्ञानी गुरु आचार्य चाणक्य के मार्गदर्शन में, अत्याचारी नंद वंश के कुशासन को समाप्त कर एक अखंड और न्यायप्रिय मौर्य साम्राज्य की स्थापना का संकल्प ले रहा था। 
    परन्तु पश्चिम में, सिकंदर का एक और महत्वाकांक्षी सेनापति, सेल्यूकस निकेटर, अपने लिए एक विशाल हेलेनिस्टिक साम्राज्य का निर्माण कर रहा था। उसकी गिद्ध दृष्टि सिकंदर द्वारा विजित भारत के समृद्ध पूर्वी प्रदेशों पर भी टिकी थी। 
    नियति इन दो महाशक्तियों को सिंधु नदी के तट पर ले आई। एक ओर थी चंद्रगुप्त की विशाल भारतीय सेना, जिसमें दुर्जेय गजसेना भी शामिल थी, और दूसरी ओर थी सेल्यूकस की अनुभवी यूनानी और मैसेडोनियन फालान्क्स। उनके बीच हुआ संघर्ष केवल शस्त्रों का नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता, कूटनीति और सहनशक्ति का भी महासंग्राम था। आचार्य चाणक्य की अद्भुत रणनीतियों और चंद्रगुप्त के अदम्य शौर्य के समक्ष यवनों को अंततः घुटने टेकने पड़े। 
    "गजराज-विजय: मगध से यवन तक" केवल युद्ध और विजय की कहानी नहीं है। यह उस ऐतिहासिक सिंधु संधि का भी विस्तृत चित्रण है, जिसने दो साम्राज्यों के बीच शत्रुता को समाप्त कर शांति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक नया अध्याय प्रारंभ किया। यह यवन राजकुमारी हेलेनिका के एक नई संस्कृति में आत्मसातीकरण, मेगस्थनीज जैसे राजदूतों द्वारा भारत के अद्भुत समाज के अवलोकन, और भारतीय युद्ध हाथियों की उस अप्रत्याशित भूमिका की भी गाथा है, जिन्होंने सुदूर पश्चिम में इप्सस के युद्ध में सेल्यूकस को निर्णायक विजय दिलाई। 
    शौर्य और बलिदान, कूटनीति और षड्यंत्र, प्रेम और घृणा, युद्ध और शांति – इन सभी मानवीय भावनाओं और ऐतिहासिक घटनाओं से बुनी यह महाकाव्यात्मक कथा आपको उस प्राचीन युग में ले जाएगी जब भारत विश्व की एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा था, और जब हाथियों ने न केवल साम्राज्यों का भाग्य तय किया, बल्कि दो महान सभ्यताओं को भी एक दूसरे के निकट ला दिया।
    Show book
  • Jivan ki sargam; swar kuchh mere kuchh tumhare - cover

    Jivan ki sargam; swar kuchh mere...

    Meenakshi Pathak

    • 0
    • 0
    • 0
    “जीवन की सरगम; स्वर कुछ मेरे, कुछ तुम्हारे 
      जीवन की सरगम उन अनसुनी आवाजों की गूंज है, जो हर नारी के मन में कहीं न कहीं बसी होती है, कभी प्रेम, पीड़ा में, तो कभी आत्म-खोज की यात्रा में | 
    यह संग्रह एक साधारण भाषा में, असाधारण भावनाओं को उजागर करता है i 
    प्रेम, समर्पण, असंतोष, उम्मीद, रिश्तों की परतें और आत्मिक संतुलन की खोज—यह सब समाया है इन पंक्तियों में i  
    “एहसास, तुम मिले और जिंदगी” कविता में प्रेम और समर्पण की भावनायें उजागर होती हैं वहीँ “हमजोली” तथा “हमसफ़र” में कुछ निराशा, हताशा के भाव सामने आते हैं | “क्यूँ” “जाने क्यूँ” और “मन करता है” कवितायों में नारी के मन में अनेक प्रश्न उठते दिखते हैं |  
    “वो आसमा अपना“ एवं “किनारे की आस“ जैसी कवितायेँ जीवन में उम्मीद भी जगाती दिखती हैं | 
     “बूंदे”  कविता , केदारनाथ धाम जून२०१३ की आपदा में अपनों को खोने वालो के दुखी मन की व्यथा से प्रेरित है. 
    “कांच के रिश्ते” तथा “ना अलग करो उन्हें” जैसी कविताओं में कहीं आप जीवन के बदलते संबंधो और रिश्तों के प्रश्नों को समझने की कोशिश अवश्य कर सकेंगे, तो कहीं जीवन जीने की अलग राह पर चल पड़ेंगे |अपने जीवन को खुशहाल बनाना चाहते हैं तो आप इन कविताओं को जरुर पढ़े | ये कविताएँ आपको एक नई सोच और नई दिशा में ले जाने का प्रयत्न है | 
    इस सरगम की कवितायों के स्वरों के माध्यम से अपने आपसी रिश्तों  में उन छोटे-छोटे खुशनुमा पलों को  पकड़ना सीखें और आपस में खुश रहने की कोशिश करें, क्यूंकि अक्सर खुशियाँ आपके आस-पास ही होती है |  
    यदि आप अपने जीवन की भागदोड़ से कुछ पल निकलकर खुद से जुड़ना चाहते हैं, तो यह काव्य-संग्रह आपको अपने ही भीतर की आवाज से मिलाने का आमंत्रण देता है शब्दों की इस सरगम में शायद आपको आपके ही जीवन के कुछ सुर मिल जाएँ i
    Show book
  • Sathi - cover

    Sathi

    Poshan Kumar

    • 0
    • 0
    • 0
    प्रेम एक ऐसी अद्भुत अनुभूति है जो मानव जीवन को सार्थकता प्रदान करती है। यह हमारे अस्तित्व के मूल में स्थित है और हमारे विचारों, भावनाओं और क्रियाओं को प्रेरितकरतीहै। प्रेम की कोई एक परिभाषा नहीं है क्योंकि यह विभिन्न रूपों में प्रकट होता है - माता-पिता का अपने बच्चों के प्रति प्रेम, भाई-बहनों के बीच का प्रेम, दोस्तों के बीच का प्रेम और नायक और नायिका के बीच सच्चा प्रेम।प्रेम की गहराई और विशालता इसे शब्दों में व्यक्त करने के लिए चुनौतीपूर्ण बनाती है। यह केवल एक भावना नहीं है, बल्कि एक क्रिया भी है जो सहानुभूति, समझ, स्वीकृति और बलिदान की माँग करती है। प्रेम हमें दूसरों के प्रति अपनी चिंता और देखभाल दिखाने के लिए प्रेरित करता है और यही हमारे संबंधों को मजबूती देता है। 
    नायक-नायिका के बीच सच्चा प्रेम किसी भी उम्र, किसी भी अवस्था में पनप सकता है। इस प्रेम में केवल शारीरिक संबंध को महत्व नहीं दिया जाता बल्कि यह प्रेम आत्मा से होता है। नायक-नायिका आत्मिक रूप से एक दूसरे से बँधते हैं। एक-दूसरे का मान-सम्मान, आवश्यकता, दुख-दर्द सब कुछ बाँटने को तत्पर रहते हैं। इस प्रेम में न सिर्फ एक दूसरे को अपना बनाना होता है बल्कि एक दूसरे के लिए समर्पण सबसे महत्वपूर्ण होता है। एक दूसरे के प्रति बलिदान भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। प्रेम की सच्ची परिभाषा एक दूसरे के प्रति समर्पण ही है।
    Show book
  • Meri Fitrat Hai Mastana - cover

    Meri Fitrat Hai Mastana

    Manoj Muntashir

    • 0
    • 0
    • 0
    गलियाँ, तेरे संग यारा, कौन तुझे यूँ प्यार करेगा, मेरे रश्के-क़मर, मैं फिर भी तुमको चाहूँगा जैसे दर्ज़नों लोकप्रिय गीत लिखने वाले मनोज 'मुंतशिर', फिल्मों में शायरी और साहित्य की अलख जगाए रखने वाले चुनिंदा क़लमकारों में से एक हैं। वो दो बार iifa अवार्ड, उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'यश भारती', 'दादा साहब फाल्के एक्सेलेन्स अवार्ड', समेत फ़िल्म जगत के तीस से भी ज्यादा प्रतिष्ठित पुरस्कार जीत चुके हैं। फ़िल्मी पण्डित और समालोचक एक स्वर में मानते हैं कि 'बाहुबली' को हिन्दी सिनेमा की सबसे सफल फ़िल्म बनाने में, मनोज 'मुंतशिर' के लिखे हुए संवादों और गीतों का भरपूर योगदान है। रुपहले परदे पर राज कर रहे मनोज की जड़े अदब में हैं। देश-विदेश के लाखों युवाओं को शायरी की तरफ वापस मोड़ने में मनोज की भूमिका सराहनीय है। मेरी फितरत है मस्ताना... उनकी अन्दरूनी आवाज़ है। जो कुछ वो फ़िल्मों में नहीं लिख पाये, वो सब उनके पहले कविता संकलन में हाज़िर है।
    Show book
  • Ehsaas Kuch Khaas - cover

    Ehsaas Kuch Khaas

    Himanshu Shukla

    • 0
    • 0
    • 0
    "एहसास कुछ खास" इस किताब में पूरी कोशिश की गई है आप तक कुछ पहुंचाने की i कोशिश सफल हो सकती है और असफल भी i हालाँकि, संवाद आपसे सीधा और सरल है i इसे और सरल बनाने के लिए व्याख्यान भी दिया गया है i ये संवाद बहुत ही आम है, आप तक किसी ना किसी माध्यम से पहुंचना ही था, या बहुत सारे माध्यमों से लगातार आप तक पहुंच ही रहा था, मगर आपकी मौन स्वीकृति और आपकी मौन मुस्कान ही इसे खास बना सकती है i पाठको से निवेदन है की आप जब भी इसे पढ़े तो अपने को थोड़ा हल्का कर के पढ़े i हल्का करने का अर्थ अपने आपको, अपने से ही थोड़ा अलग करके, अपनी सारी परिभाषाओ को बस थोड़ी देर भूलकर इस किताब को पढ़े । एक निवेदन और है ,उन पाठको से जो लेखक को, व्यकितगत रूप से जानते हैi अगर आप जानते है तो जब तक इस किताब को पढ़े, ये मान ले की आप लेखक को बिलकुल नहीं जानते i ये आपको पढ़ने की यात्रा में और अधिक आनंद देगा i इस किताब का असली मकसद आपको हल्का करना ही है, इतना हल्का करना की आप बहुत सारी बेड़ियाँ जो आभूषण की तरह पहनी है, उन्हें उतार सके i यकीन मानिये अगर आप और हम मिलकर, इसमें सफल हो गये तो एक नया अनुभव करेंगे i इस अनुभव को भाषा में व्यक्त भी नहीं किया जा सकता i
    Show book
  • जज़्बात - ग़ज़ल संग्रह - cover

    जज़्बात - ग़ज़ल संग्रह

    डॉ. रंजना वर्मा

    • 0
    • 0
    • 0
    About the book:इस संग्रह की ग़ज़लों की भाषा हमारी गंगा जमुनी तहज़ीब की नुमाइंदगी करने वाली आम बोलचाल की उर्दू मिश्रित हिंदी ही है । अरबी फारसी शब्दों से बोझिल पांडित्य पूर्ण भाषा के प्रदर्शन से उन्होंने परहेज किया गया है इसलिए ये ग़ज़लें आम पाठक के लिए सहज संप्रेषणीय हैं । हिंदी उर्दू शब्दों का कृत्रिम विभाजन या हिंदी ग़ज़ल या उर्दू ग़ज़ल का वाक्युद्ध इनमें नहीं है । डॉ. रंजना वर्मा स्वप्निल संसार की मुगालते भरी दुनिया में नहीं रहतीं । यथार्थ के कठोर धरातल से उनकी शायरी रूबरू कराती है । इस लिहाज से वे परंपरावादी नहीं पर्याप्त प्रगति शील शायरा हैं । सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं तथा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाती हैं । उन्हें जिंदगी की तल्ख़ियों का एहसास है और गमे-जानाँ ही नहीं गमे-दौराँ भी उनकी शायरी में मौजूद है ।
    Show book