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भूमिगत स्वर्ग में एक रात - विली जोन्स एनडीई की कहानी‎ - cover

भूमिगत स्वर्ग में एक रात - विली जोन्स एनडीई की कहानी‎

Owen Jones

Publisher: Tektime

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Summary

विलियम जोन्स, ब्रेकन बीकन का एक भेड़ पालक किसान है, जिसका जीवन तब तक खुशहाल ‎होता है, जब तक कि उसकी पत्नी सारा की युवावस्था में ही मृत्यु नहीं हो जाती। यह उसे तबाह ‎कर देती है और स्पष्ट रूप से वह आत्म-विनाश की ओर झुक जाता है। उसकी बेटी बेकी मदद ‎करने की कोशिश करती है, लेकिन उसके पिता को लेकर उसका धैर्य भी जवाब देने लगता है। ‎एक शाम, उसे लगता है कि वह पक्का मर गया है और अपने दुख से छुटकारा पा गया है, ‎लेकिन ऐसा नहीं होना था। वह ठीक हो गया। हालाँकि उसका जीवन फिर कभी पहले जैसा नहीं ‎हुआ। उसने भूमिगत स्वर्ग की खोज की, जहां उसकी पत्नी रहती थी, और उसे नई मिली जीवनी ‎शक्ति ने उसका और उन सभी लोगों का जीवन बदल दिया जिनके वह संपर्क में आया था। ‎PUBLISHER: TEKTIME
Available since: 04/28/2022.

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    बेटी का धन - मुंशी प्रेमचंद - Beti Ka Dhan - Munshi Premchand 
    महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी 'बेटी का धन' समाज में बेटियों की स्थिति, परिवार की संवेदनाएं और माता-पिता के त्याग को दर्शाती है। यह कहानी भावनाओं का ऐसा संगम है, जो आपके दिल को छू लेगी और सोचने पर मजबूर कर देगी। 
    🔸 कहानी का नाम: बेटी का धन  
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    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
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    Ak Rukhi Huyi Chitthi - Malgudi Days by R. K. Narayan - एक रूखी हुई चिट्ठी - मालगुडी डेज़ आर. के. नारायण 
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    इंतज़ार - डा० पुष्पा सक्सेना की लिखी कहानी - Intzaar - A Story by Dr. Pushpa Saxena 
     "इंतज़ार" डॉ. पुष्पा सक्सेना की एक संवेदनशील और भावनात्मक कहानी है, जो प्रतीक्षा, प्रेम, और जीवन के उतार-चढ़ाव को दर्शाती है। यह कहानी उन भावनाओं को उजागर करती है, जिन्हें शब्दों में बयान करना मुश्किल होता है। 
    🔹 इस कहानी में: इंतज़ार की गहराई और उसकी पीड़ा। 
    प्रेम और रिश्तों की कोमलता। 
    जीवन के निर्णयों का प्रभाव। 
    एक महिला के संघर्ष और धैर्य की मार्मिक कथा। 
    🖋️ लेखक: डॉ. पुष्पा सक्सेना  
    📚 श्रेणी: हिंदी साहित्य | 
    सामाजिक कथा | 
    भावनात्मक कहानी 
    🎙️ इस दिल को छू लेने वाली कहानी को सुनें और महसूस करें इंतज़ार का असली अर्थ। 
    पुष्पा सक्सेना का जन्म 20 अगस्त 1926 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। वे हिंदी साहित्य की जानी-मानी लेखिका थीं, जिन्होंने कहानियों, निबंधों और उपन्यासों के माध्यम से समाज की गहरी समझ प्रस्तुत की। उनकी रचनाएँ महिलाओं के जीवन, उनकी समस्याओं और समाज में उनकी स्थिति को प्रभावशाली ढंग से चित्रित करती हैं। 
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    "एक दिन मुल्ला जी सुबह-सुबह गच्चू पर ढ़ेर सारी सब्जियां लाद कर जैसे ही खुद लदने को हुए, गच्चू, मुल्ला जी को टोंकते हुए - मुल्ला जी मेरी तबियत आज ठीक नहीं लग रही, आज आप पैदल ही चलें। मुल्ला जी को बड़ा क्रोध आया, मेरा गधा मुझे ही आदेश दे रहा है, पिछवाड़े डंडे से चपत लगाते हुए -मालिक तू है कि मैं जो कहूं चुप चाप वही किया कर। कहते हुए पीठ पे चढ़ गये। रस्ते भर गच्चू, मन ही मन मुल्ला जी को बद्दुआ देता रहा, या अल्लाह ऐसा मालिक किसी को न दे। मुल्ला जी मंडी, पहुँचते ही, गच्चू को पुचकारते हुए - आज जो भी सब्जियां बचेंगी तुझे खाने को दूंगा। गच्चू, मन ही मन दुआ पढ़ने लगा - या अल्लाह आज इसकी सब्जियां न बिके सारी सब्जियां मुझे खाने को मिल जाए । जैसे ही कोई ग्राहक सब्जी लेने आता, दुआ करने लगता - या अल्लाह ये बिना सब्जी लिए ही लौट जाये, इसका मोल न पटे। जैसे ही कोई ग्राहक सब्जी लेकर चला जाता, गच्चू उदास हो जाता। ऐसा करते करते दोपहर तक मुल्ला जी कि सारी सब्जियां बिक गई, थोड़ी बहुत सड़ी-गली सब्जियां ही बची। मुल्ला जी, उन सब्जियों को गच्चू कि तरफ बढ़ाते हुए - ले खा ले। गच्चू, अपनी नाक भौह सिकोड़ते हुए - ये सड़ी सब्जियां मैं न खाऊंगा, मेरा पेट ख़राब हो जाएगा। मुल्ला जी, पीछे से चपत लगाते हुए - तो तुझे ताज़ी सब्जियां खिलाऊँ? गच्चू, चिढ़ते हुए - बड़े बेरहम हो मुल्ला, अल्लाह का खौफ खाओ। मुल्ला जी, पुचकारते हुए - चल घर पहुँचते ही तुझे चने के दाने खिलाऊंगा। गच्चू को लगा मुल्ला जी सच बोल रहे हैं, चने के लालच में मुल्ला जी को पीठ पे बिठा कर जल्दी जल्दी फलांग भरते हुए घर पहुंचा दिया। घर पहुँच कर मुल्ला जी, गच्चू पर गुस्सा करते हुए - काम चोर कहीं का, आज से पहले तो तूने कभी इतनी जल्दी न पहुँचाया, पिछवाड़े एक चपत लगाते हुए - कल से ऐसे ही चलना।
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