बूढ़ी काकी - मुंशी प्रेमचंद - Budhi Kaki - Munshi Premchand
मुंशी प्रेमचंद
Erzähler मुंशी प्रेमचंद
Verlag: LOTUS PUBLICATION
Beschreibung
बूढ़ी काकी प्रेमचंद की लिखी गई यह कहानी ‘बूढ़ी काकी’ मानवीय करुणा की भावना से ओतप्रोत कहानी है। इस कहानी के माध्यम से कहानीकार प्रेमचंद बूढ़े हो चुके लोगों की हमारे समाज में हो रही उपेक्षा की ओर सभी ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। इस कहानी में एक वृद्ध औरत तिरस्कार और अपमान का जीवन जीती है । भतीजे बुद्धिराम के तिलक के समय सारा घर मिठाई, पूरी, कचौरी की सुगंध से भर जाता है। काकी भूखी प्यासी उपेक्षित सी कोठरी में पड़ी रहती है, वह कुछ खा नहीं पाती है। बुजुर्ग को आदर देना चाहिए, यही इस कहानी की शिक्षा है|कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद कलम के जादूगर प्रेमचंद की कहानियाँ आज भी बड़े ही ध्यान और सम्मान के साथ सुनी जाती हैं। आज हम लेकर आए हैं प्रेमचंद की वो कहानियाँ जो उनके कथा संकलन ‘मान सरोवर’ से ली गई हैं। प्रेमचंद की कहानियाँ अपने समय की हस्ताक्षर हैं जिनमें आप तब के परिवेश और समाज को भी बखूबी समझ सकते हैं। यूं तो मुंशी जी ने अपनी कहानियाँ हिंदी में ही लिखी हैं फिर भी हमारा ये प्रयास है की उनकी कहानियाँ ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचे और इसलिए हमने उन्हें थोड़ी और सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। इन कहानियों को ख़ास आपके लिए तैयार किया है। तो आइए सुनते हैं प्रेमचंद की विश्व प्रसिद्ध कहानियाँ!
Dauer: 26 Minuten (00:25:34) Veröffentlichungsdatum: 08.12.2022; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —

