Join us on a literary world trip!
Add this book to bookshelf
Grey
Write a new comment Default profile 50px
Grey
Subscribe to read the full book or read the first pages for free!
All characters reduced
सई - उपन्यास - cover

सई - उपन्यास

डॉ. रंजना वर्मा

Publisher: Pencil

  • 0
  • 0
  • 0

Summary

About the book:सई' उपन्यास नहीं नारी - जीवन की विवशता अंतर्द्वंद और उसके अस्मिता की रक्षा के लिए किए गए संघर्ष का लेखा-जोखा है। यह केवल सई की ही कथा नहीं है वरन संपूर्ण नारी जाति की व्यथा - कथा है । उसके अश्रु और हास का संपूर्ण इतिहास है । उसकी विजय और पराजय की लहरों से युक्त समाज रूपी समुद्र की जीवन - यात्रा है जिसमें सिंधु के विकट गर्जन के साथ उसी के हृदयाकाश में विलीन हो जाने वाली गंगा की विभिन्न विवश उर्मियों का विलाप भी समाहित है ।        प्रत्येक स्त्री गंगा की पावनता नहीं प्राप्त कर सकती । प्राप्त भी कर ले तो भी उस महिमा-मंडित पद तक पहुंच जाए यह संभव नहीं हो पाता । सई गंगा सी होकर भी गंगा नहीं मात्र 'सई' है । उसे जानने के लिए प्रस्तुत उपन्यास पढ़ें - 'सई'।  
Available since: 11/25/2021.

Other books that might interest you

  • भूमिगत स्वर्ग में एक रात - विली जोन्स एनडीई की कहानी - cover

    भूमिगत स्वर्ग में एक रात - विली...

    Owen Jones

    • 0
    • 0
    • 0
    विलियम जोन्स, ब्रेकन बीकन का एक भेड़ पालक किसान है, जिसका जीवन तब तक खुशहाल ‎होता है, जब तक कि उसकी पत्नी सारा की युवावस्था में ही मृत्यु नहीं हो जाती। यह उसे तबाह ‎कर देती है और स्पष्ट रूप से वह आत्म-विनाश की ओर झुक जाता है। उसकी बेटी बेकी मदद ‎करने की कोशिश करती है, लेकिन उसके पिता को लेकर उसका धैर्य भी जवाब देने लगता है। ‎एक शाम, उसे लगता है कि वह पक्का मर गया है और अपने दुख से छुटकारा पा गया है, ‎लेकिन ऐसा नहीं होना था। वह ठीक हो गया। हालाँकि उसका जीवन फिर कभी पहले जैसा नहीं ‎हुआ। उसने भूमिगत स्वर्ग की खोज की, जहां उसकी पत्नी रहती थी, और उसे नई मिली जीवनी ‎शक्ति ने उसका और उन सभी लोगों का जीवन बदल दिया जिनके वह संपर्क में आया था। ‎
    Show book
  • धनुषकोड़ी की अंतिम ट्रेन - cover

    धनुषकोड़ी की अंतिम ट्रेन

    Sweet Audible

    • 0
    • 0
    • 0
    This audiobook is narrated by an AI Voice.   
    सारांश – धनुषकोड़ी की अंतिम ट्रेन 
    धनुषकोड़ी की अंतिम ट्रेन एक रोमांचक और हृदयस्पर्शी कहानी है, जो भारत की एक भयावह प्राकृतिक त्रासदी की पृष्ठभूमि पर आधारित है। वर्ष 1964 की एक तूफ़ानी रात में, यात्रियों से भरी एक ट्रेन धनुषकोड़ी द्वीप नगर की ओर रवाना होती है। हवा में अनहोनी की आहट है — समुद्र में उठती लहरें, आसमान में गड़गड़ाहट, और लोगों के मन में अजीब बेचैनी। जैसे-जैसे ट्रेन आगे बढ़ती है, एक भयानक चक्रवात आकार लेता है, और अचानक एक प्रलयंकारी ज्वारीय लहर सब कुछ अपने साथ बहा ले जाती है। जीवन और मृत्यु के बीच की अंतिम जद्दोजहद में, यात्रियों की हिम्मत, डर और नियति की करुण कहानी उभर कर सामने आती है। 
    यह ऑडियोबुक प्रकृति के प्रकोप, मानव साहस और भाग्य के निर्दयी मोड़ की एक सशक्त दास्तान है — धनुषकोड़ी की अंतिम ट्रेन सुनने के बाद उसकी गूंज लंबे समय तक आपके मन में बनी रहेगी। 
    सूची: 
    प्रस्तावना – भूतिया स्टेशन की रहस्यमयी रात 
    अध्याय 1 – भुलाए हुए नगर के किनारे 
    अध्याय 2 – अजनबी की डायरी 
    अध्याय 3 – अधूरी यात्रा 
    अध्याय 4 – रामसेतु की फुसफुसाहट 
    अध्याय 5 – अंतिम टिकट कलेक्टर 
    अध्याय 6 – चक्रवात की रात 
    अध्याय 7 – विशाल लहर 
    अध्याय 8 – भूतिया ट्रेन की वापसी 
    अध्याय 9 – निर्णायक विकल्प 
    अध्याय 10 – उपसंहार: अंतिम प्रस्थान 
    Title: धनुषकोड़ी की अंतिम ट्रेन ( Last Train to Dhanushkodi ) 
    Genre: Suspense Thriller (based on a real incident) 
    Language: Hindi 
    File Type: Mp3 
    Length: 59 Min 
    Audiobook Narrated and Published by: Sweet Audible (2025) 
    Download our Audiobooks from: https://audio.sweetaudible.com/
    Show book
  • Hare Coat Ke Piche - Malgudi Days by R K Narayan - हरे कोट के पीछे - मालगुडी डेज़ आर के नारायण - cover

    Hare Coat Ke Piche - Malgudi...

    R. R.K.Narayan

    • 0
    • 0
    • 0
    Hare Coat Ke Piche - Malgudi Days by R. K. Narayan - हरे कोट के पीछे - मालगुडी डेज़ आर. के. नारायण 
     
    "राजू एक पाकिट मार है, लेकिन वह हमेशा से अपनी पत्नी को झूठ बोलता आ रहा है कि वह बिज़नेस कर पैसे कमाता है। एक दिन वह ग्रीन ब्लेज़र वाले एक आदमी का पीछा करता है जो अपनी बेटी के लिए गुब्बारे लेकर जा रहा होता है। मौक़ा मिलते ही राजू उसका पाकिट मार लेता है। पर्स से पैसे निकालते समय राजू की नज़र उन गुब्बारों पर पड़ती है जो वह आदमी उसकी बेटी के लिए ले जा रहा था। उसे सोचकर बुरा लगता है कि जब वह घर लौटेगा और उसकी बेटी को गुब्बारे नहीं दिखेंगे तो उसे कितना दुःख होगा। राजू उन गुब्बारों को दोबारा पर्स में रख उसके ब्लेज़र के पाकिट में डालने जा ही रहा होता है कि पुलिस आकर उसे पकड़ लेती है। पुलिस राजू को बहुत मारती है। तब वह निश्चय करता है कि आगे से वह किसी के भी प्रति सहानुभति नहीं दिखाएगा। "लेखक आर. के. नारायण 
    “ मालगुडी डेज” भारत के प्रख्यात लेखक आर.के.नारायण द्वारा रचित एक काल्पनिक शहर की कहानी है और इसी तर्ज पर कन्नड़ अभिनेता और निर्देशक शंकर नाग ने इस पर 1986 में एक टीवी सीरियल का निर्देशन भी किया, जिसे 'मालगुडी डेज़' कहते हैं। मालगुडी, दक्षिण भारत के मद्रास से कुछ घंटों की दूरी पर स्थित एक काल्पनिक गाँव है जो की आर.के.नारायण की ही कल्पना थी। यह शहर मेम्पी जंगल के पास सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। इस जगह की वास्तविकता के बारे में खुद आर.के.नारायण भी अनजान थे। कई लोग इसे कोइम्बतुर में मानते हैं क्योंकि वहां पर भी ऐसी ही इमारतें और घर थे।
    Show book
  • Shanti - Munshi Premchand Ki Kahani - शांति - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - cover

    Shanti - Munshi Premchand Ki...

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    शांति - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - Shanti - Munshi Premchand Ki Kahani 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'शांति' एक मार्मिक और जीवन की सच्चाई को उजागर करने वाली कथा है, जो स्त्री की सहनशीलता, त्याग और प्रेम को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करती है। इस कहानी में प्रेमचंद ने एक नारी के हृदय की गहराई और उसकी संघर्षपूर्ण स्थिति को बड़े प्रभावी ढंग से उकेरा है। 'शांति' कहानी के माध्यम से प्रेमचंद ने स्त्री के अंदर छिपे साहस, करुणा और सहिष्णुता को उजागर किया है।  
    यह कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे समाज की मान्यताओं के बीच स्त्री अपनी गरिमा और आत्मसम्मान बनाए रखती है। हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए यह कहानी जीवन के गहन मर्म को समझने और स्त्री के त्याग को सराहने का एक अनूठा अनुभव है। इसे अवश्य सुनें और अपने विचार साझा करें।  
    🔸 कहानी का नाम: शांति  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: भावनात्मक, सामाजिक  
    🔸 मुख्य विषय: स्त्री का त्याग, सहिष्णुता, समाज में स्त्री का स्थान  
    🔸 मुख्य पात्र: शांति और उसके जीवन की कठिनाइयाँ  
    🌟 कहानी के मुख्य बिंदु:  
    स्त्री की सहनशीलता और त्याग  
    समाज में स्त्री की स्थिति  
    प्रेमचंद की संवेदनशील लेखनी का प्रभाव  
    मानवीय संबंधों का मर्मस्पर्शी चित्रण 
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
    Show book
  • Dil Ki Rani - Munshi Premchand Ki Kahani - दिल की रानी - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - cover

    Dil Ki Rani - Munshi Premchand...

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    दिल की रानी - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Dil Ki Rani - Munshi Premchand Ki Kahani 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'दिल की रानी' मानवीय संबंधों, नारी सम्मान और आत्मसम्मान की एक दिल छू लेने वाली कहानी है। यह कहानी समाज की रूढ़ियों और नारी के संघर्षों को उजागर करती है, जहां 'दिल की रानी' अपने आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए खड़ी होती है। प्रेमचंद की लेखनी की यह उत्कृष्ट कृति हर पाठक को गहराई से सोचने पर मजबूर कर देती है। 
    🔸 कहानी का नाम: दिल की रानी 
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: सामाजिक, भावनात्मक  
    🔸 मुख्य विषय: नारी सम्मान, प्रेम, समाज  
    🔸 मुख्य पात्र: दिल की रानी और उसका संघर्ष  
    🌟 कहानी के मुख्य बिंदु:  
    नारी का आत्मसम्मान और उसकी स्वतंत्रता  
    समाज की रूढ़ियों का प्रभाव  
    प्रेमचंद की यथार्थवादी लेखनी  
    मानवीय संबंधों की गहराई  
    इस प्रेरणादायक और संवेदनशील कहानी को सुनें और जानें कि कैसे 'दिल की रानी' नारी गरिमा और आत्मसम्मान के लिए अपने संघर्ष में एक मिसाल कायम करती है। 
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
    Show book
  • Griha Daah - Munshi Premchand Ki Kahani - गृह दाह - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - cover

    Griha Daah - Munshi Premchand Ki...

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    गृह दाह - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - Griha Daah - Munshi Premchand Ki Kahani 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'गृह दाह' एक संवेदनशील और गहन कथा है जो पारिवारिक जीवन के तनाव, रिश्तों के संघर्ष, और मानवीय भावनाओं के उतार-चढ़ाव को प्रस्तुत करती है। यह कहानी एक परिवार के भीतर के संघर्षों और उनके प्रभावों को बेहद मार्मिक ढंग से सामने लाती है।  
    इस मार्मिक कहानी को सुनें और जानें कि कैसे 'गृह दाह' हमें पारिवारिक जीवन के महत्व और रिश्तों की गहराई को समझने का अवसर देती है। यह कहानी आपके दिल को छू जाएगी। 
    🔸 कहानी का नाम: गृह दाह  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: सामाजिक, पारिवारिक  
    🔸 मुख्य विषय: पारिवारिक कलह, रिश्तों का महत्व  
    🔸 मुख्य पात्र: गृहस्थ जीवन में संघर्षरत परिवार  
    🌟 कहानी के मुख्य बिंदु:  
    पारिवारिक जीवन के तनाव और उसके परिणाम  
    रिश्तों की नाजुकता और उनकी अहमियत 
    प्रेमचंद की मानवीय संवेदनाओं से भरी लेखनी  
    समाज और परिवार के बीच का संतुलन  
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
    Show book