¡Acompáñanos a viajar por el mundo de los libros!
Añadir este libro a la estantería
Grey
Escribe un nuevo comentario Default profile 50px
Grey
Suscríbete para leer el libro completo o lee las primeras páginas gratis.
All characters reduced
सुहाने सपनें मेरी लाडली - cover

सुहाने सपनें मेरी लाडली

Shelley Admont, KidKiddos Books

Editorial: KidKiddos Books

  • 0
  • 0
  • 0

Sinopsis

सोने  का समय हो गया है ,लेकिन एलिस अभी सोने नहीं जाना चाहती है। अपने सोने की दिनचर्या से गुजरने के बाद, माँ ने अपनी बेटी को वो सभी शानदार चीजे याद दिलाकर   जो दोनों ने  उस शाम को साथ में  की थी , माँ ने अपनी बेटी को  शांत/स्थिर किया | अत्यंत ही भावुक और सुखद तरीके से लिखी गई, , यह पुस्तक एलिस और उसकी माँ के बीच के प्रगाढ़ और प्यार भरे रिश्ते को दिखाती है, जबकि नन्हें पाठकों को एक अच्छी नींद के लिए तैयार करती है।
Disponible desde: 20/01/2023.
Longitud de impresión: 34 páginas.

Otros libros que te pueden interesar

  • जीवनसंजीवनी - cover

    जीवनसंजीवनी

    शिवांगी तिवारी मिश्रा

    • 0
    • 0
    • 0
    मानव शरीर कई बीमारियों से जूझता है। उन शारीरिक बीमारियों का इलाज इस भौतिक जगत में विभिन्न औषधियों व उपचारों से संभव हो जाता है। ठीक उसी प्रकार मानव जीवन भी कई समस्याओं व परेशानियों से जूझता रहता व संघर्ष करता रहता है जिसके लिए कोई भी औषधि व उपचार इस भौतिक जगत में संभव नहीं। का की सभी समस्याओं व परेशानियों मनुष्य उपचार उसके भीतर गुण रूपी औषधि के रूप में विद्यमान है। ज़रूरत है सिर्फ इन गुण रूपी औषधियों को अपनी परेशानियों व समस्याओं के अनुसार प्रयोग करने की फिर मनुष्य स्वतः ही इनसे निजात पा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में कविताओं के माध्यम से उन गुणों .व परेशानियों को दर्शाया गया है है जो हर मनुष्य के भीतर विद्यमान तो हैं पर परिस्थिति और हालातों के कारण अंतरमन में कहीं दब से गए हैं है जैसा की हम जानते प्रभु श्रीराम भक्त हनुमान जी सर्वशक्तिशाली है पर वह अपनी शक्तियों को भूल न चुके थे पर जैसे ही उन्हें उनकी शक्तियों का बोध करवाया गया उन्होंने तुरंत ही एक छलांग में महासागर पार किया और लंका पहुँच गए। वैसे ही आत्मचिंतन द्वारा मनुष्य अपने भीतर छुपे गुणों को जान सकता है और उन्हें औषधियों के रूप में प्रयोग कर जीवन की परेशानियों से निजात पा सकता है।'जीवन संजीवनी' एक माध्यम बन सकती है आपके लिए जो आपके भीतर कहीं दबे हुए गुणों को आपसे रू-ब-रू करवाने में सहायक बन सकती है। जीवन में कभी हार न मानो आत्मचिंतन से स्वयं को पहचानो, 1 परेशानियाँ भी तुमसे कर लेंगी किनारा, का। पर पहले अपने भीतर के गुणों को 
    Ver libro
  • Maila Aanchal - Phanishwar Nath Renu - मैला आँचल - फणीश्वरनाथ रेणु - cover

    Maila Aanchal - Phanishwar Nath...

    Phanishwar Nath Renu

    • 0
    • 0
    • 0
    ‘मैला आँचल’ हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ट रुप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है। 
    ‘मैला आँचल’ का कथानक एक युवा डॉक्टर है जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पिछड़े गाँव को अपने कार्य-क्षेत्र के रुप में चुनता है, तथा इसी क्रम में ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दुःख-दैन्य, अभाव, अज्ञान, अन्धविश्वास के साथ-साथ तरह-तरह के सामाजिक शोषण-चक्रों में फँसी हुई जनता की पीड़ाओं और संघर्षों से भी उसका साक्षात्कार होता है। कथा का अन्त इस आशामय संकेत के साथ होता है कि युगों से सोई हुई ग्राम-चेतना तेजी से जाग रही है। 
    कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथाशिल्प के साथ-साथ भाषाशिल्प और शैलीशिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहज-स्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी। 
    फणीश्वरनाथ रेणु जन्म : 4 मार्च, 1921; जन्म-स्थान : औराही हिंगना नामक गाँव, ज़िला पूर्णिया (बिहार)। हिन्दी कथा-साहित्य में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण रचनाकार। दमन और शोषण के विरुद्ध आजीवन संघर्ष। राजनीति में सक्रिय हिस्सेदारी। 1942 के भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में एक प्रमुख सेनानी। 1950 में नेपाली जनता को राणाशाही के दमन और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशस्त्र क्रान्ति और राजनीति में योगदान। 1952-53 में दीर्घकालीन रोगग्रस्तता। इसके बाद राजनीति की अपेक्षा साहित्य-सृजन की ओर अधिकाधिक झुकाव। 1954 में बहुचर्चित उपन्यास ‘मैला आँचल’ का प्रकाशन। कथा-साहित्य के अतिरिक्त संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोर्ताज़ आदि विधाओं में भी लिखा। व्यक
    Ver libro
  • बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर - cover

    बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर

    उमेश कुमार गुप्ता

    • 0
    • 0
    • 0
    उमेश कुमार गुप्ता की निबंध संग्रह बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर सुनिए पल्लव के साथ
    Ver libro
  • Pachchtava - cover

    Pachchtava

    Dharmendra Mishra

    • 0
    • 0
    • 0
    Story Summery: 
    विदूषक ने दोस्त सम्पाती का साथ छोड़ दिया और इंसानों की बस्ती की ओर चल पड़ा। वहाँ चारों ओर हरे-भरे पेड़, स्वादिष्ट फल और रंग-बिरंगे बाग़-बग़ीचे थे। विदूषक को लगा – यही तो असली सुख है! 
    लेकिन जिन बंदरों के साथ वह पहुँचा था, वे पहले से इंसानों की चालाकियों से परिचित थे। वे सब तो सुरक्षित निकल गए, मगर बेचारा विदूषक फँस गया। इंसानों ने डंडों और लाठियों से उस पर हमला कर दिया। उसका पैर टूट गया। 
    अब न तो दोस्त रहे और न ही जीने का सहारा… अकेला विदूषक एक वृक्ष के खोखल में पड़ा अपनी आख़िरी साँसों की प्रतीक्षा करने लगा।
    Ver libro
  • Chalo Buddha Ki Aur - cover

    Chalo Buddha Ki Aur

    डॉ. शिवाजी सिंह

    • 0
    • 0
    • 0
    भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की, बौद्ध धर्म 
    के तिरत्न है :-0 बुद्ध 
    9 
    धम्म 3 संघ भावही 
    बौद्ध धर्म के पांच श्रील हे तथा अष्टांगिक मार्ग हूँ। भगवान बुद्ध का सिद्धान्त तीन स्तम्भों पर आधारित है 
    बुद्धि 
    साहस 
    3 करुणा 
    बौद्ध धर्म के चार कापि सत्य हे : दुःख, दुःख समुदय, 
    दुःख निरोध, दुःख निरोध मार्ग 
    इन चारो आर्य सत्य के आधार पर ही बौद्ध धर्म की शिक्षाए दी जाती है। बोद्ध धर्म का मकसद लोगो को दुःख से मुक्ति दिलाना और उनका कल्यान करना है।
    Ver libro
  • सरहद के जवान - cover

    सरहद के जवान

    Amit sharma

    • 0
    • 0
    • 0
    कवि एक देशभक्त है। इस कविता द्वारा उसने सेना के जवान की मनोभावनाओं को व्यक्त किया है। कवि बताया है कि कैसे सेना का ये वीर सरहद पर तत्पर रहता है। वो दुश्मन की आहट को सुन लेता 
    है, और उसको माकूल जवाब देता है। उसका सीना फौलादी है और आँखों में देश के लिये मर मिटने का जुनून है। जब सरहद पर से उसे कोई छेड़ता है तो वो आर पार की लड़ाई करता है। खून की होली वो खेलता है और दुश्मन को रोंदता है। वो जमीं, आसमान और समुद्र की सीमा से दुश्मन पर अंगारों की बौछार करता है और अपने देशवासियों की हर कीमत पर सुरक्षा करता हैयुद्ध होने पर वो न अपने भूख,प्यास और न ही आराम की चिंता करता है। शेर की तरह दहाड़ता हुआ लोहा लेता है और दुश्मन का सफाया करता है।सीने पर गोली खा कर और हँसते - हँसते वन्देमातरम कहते हुऐ वो शहीद हो जाता है। उसकी शहादत कई जवानों के लिए एक मिसाल कायम करती है। और हार न मानो कभी ये होंसला देते हैं ।। 
    ।
    Ver libro