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Aadi Ant Aur Aarambha - cover
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Aadi Ant Aur Aarambha

निर्मल वर्मा

Narrador Vinod Sharma

Editorial: Storyside IN

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Sinopsis

अक्सर कहा जाता है कि बीसवीं शती में जितनी बड़ी संख्या में लोगों को अपना देश, घर-बार छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेना पड़ा, शायद किसी और शती में नहीं। किन्तु इससे बड़ी त्रासदी शायद यह है कि जब मनुष्य अपना घर छोड़े बिना निर्वासित हो जाता है, अपने ही घर में शरणार्थी की तरह रहने के लिए अभिशप्त हो जाता है। आधुनिक जीवन की सबसे भयानक, असहनीय और अक्षम्य देन 'आत्म-उन्मूलन' का बोध है। अजीब बात यह है कि यह चरमावस्था, जो अपने में काफी 'एबनॉर्मल' है, आज हम भारतीयों की सामान्य अवस्था बन गयी है। आत्म-उन्मूलन का त्रास अब 'त्रास' भी नहीं रहा, वह हमारे जीवन का अभ्यास बन चुका है। ऊपर की बीमारियाँ दिखाई देती हैं, किन्तु जो कीड़ा हमारे अस्तित्व की जड़ से चिपका है, जिससे समस्त व्याधियों का जन्म होता है- आत्म-शून्यता का अन्धकार- उसे शब्द देने के लिए हमें जब-तब किसी सर्जक-चिन्तक की आवश्यकता पड़ती रही है। हमारे समय के मूर्धन्य रचनाकार निर्मल वर्मा अकसर हर कठिन समय में एक सजग, अर्थवान् हस्तक्षेप करते रहे हैं। अलग-अलग अवसरों पर लिखे गये इस पुस्तक के अधिकांश निबन्ध- भले ही उनके विषय कुछ भी क्यों न हों- आत्म-उन्मूलन में इस 'अन्धकार' को चिद्दित करते रहे हैं। एक तरह से यह पुस्तक निर्मल वर्मा की सामाजिक-सांस्कृतिक चिन्ताओं का ऐतिहासिक दस्तावेज़ प्रस्तुत करती है।
Duración: alrededor de 6 horas (06:18:55)
Fecha de publicación: 04/06/2021; Unabridged; Copyright Year: 2021. Copyright Statment: —