Junte-se a nós em uma viagem ao mundo dos livros!
Adicionar este livro à prateleira
Grey
Deixe um novo comentário Default profile 50px
Grey
Ouça online os primeiros capítulos deste audiobook!
All characters reduced
MuktiDhan - A Story by Munshi Premchand - मुक्तिधन - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - cover
OUçA EXEMPLO

MuktiDhan - A Story by Munshi Premchand - मुक्तिधन - मुंशी प्रेमचंद की कहानी

Munshi Premchand

Narrador Munshi Premchand

Editora: LOTUS PUBLICATION

  • 0
  • 0
  • 0

Sinopse

मुक्तिधन - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | MuktiDhan - A Story by Munshi Premchand 
"मुक्तिधन" मुंशी प्रेमचंद की एक प्रेरक और सामाजिक कहानी है, जो धन-संपत्ति, मानवीय मूल्यों और आत्म-संतोष के बीच के संघर्ष को उजागर करती है। इस कहानी में प्रेमचंद ने यह दर्शाया है कि सच्चा धन भौतिक संपत्ति में नहीं, बल्कि मानवीय करुणा, त्याग और आत्मिक संतोष में निहित होता है। 
🔸 कहानी का नाम: मुक्तिधन  
🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
🔸 मुख्य विषय: त्याग, आत्म-संतोष, और मानवीय मूल्य 
🔸 भावनात्मक दृष्टिकोण: प्रेरणादायक, गहन, और विचारोत्तेजक 
🌿 कहानी के मुख्य बिंदु: 
भौतिक संपत्ति बनाम आत्मिक सुख का संघर्ष 
त्याग और परोपकार का महत्व 
सच्चे धन की परिभाषा और जीवन का संतोष 
मुंशी प्रेमचंद की यह कहानी हमें सिखाती है कि असली "मुक्तिधन" वह है, जो हमारे जीवन को शांति और सच्चे आनंद से भर दे। अगर यह कहानी आपके दिल को छू जाए, तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। 
मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के एक महान लेखक थे। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन वे प्रेमचंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गांव में हुआ था। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं और संघर्षों को उजागर किया। 
प्रेमचंद की प्रमुख कृतियों में 'गोदान', 'गबन', 'निर्मला', 'सेवासदन', 'रंगभूमि' और 'कफन' शामिल हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज के निम्न और मध्यम वर्ग की जिंदगी की सजीव तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। वे सामाजिक न्याय, नैतिकता और मानवीय मूल्यों के पक्षधर थे। प्रेमचंद का साहित्य सरल भाषा, मार्मिक शैली और यथार्थवादी दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और इसे जनसाधारण के करीब लाया। 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनका साहित्य आज भी प्रेरणादायक है और हिंदी साहित्य का अमूल्य हिस्सा है।
Duração: 26 minutos (00:25:46)
Data de publicação: 19/01/2025; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —