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वैन गोह का अन्तरद्वंद - जीवन कार्य और मानसिक रोग - cover
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वैन गोह का अन्तरद्वंद - जीवन कार्य और मानसिक रोग

लीस्बेथ हेंक

Tradutor द्वारा संपादित

Editora: Amsterdam Publishers

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Sinopse

एक कलाकार के व्यावहारिक विचारों का वर्णन सैकड़ों हस्तलिखित पत्र में उपलब्ध हैं। इतिहास के सबसे प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक के पीछे के जटिल दिमाग को खोज सकते हैं।
 
 
 
संघर्षरत कलाकार विन्सेंट वैन गोह ने अपने दिल का अनुसरण करने के लिए व्यावसायिक सफलता का त्याग किया। पूर्व में एक कला डीलर के क्लर्क के रूप में काम करते हुए, वह जानते थे कि जनता किस तरह के काम को पसंद करेगी। लेकिन उन्हें ग़रीबी, अलगाव और कष्टदायी प्रतिकूलता की कीमत पर ईमानदार रचनाएँ बनाने के लिए जनता से विमुख होना पड़ा।
 
 
 
जिसे उन्होंने अपनी "बर्बाद मालकिन" कहा, उसका पीछा करते हुए वैन गोह ने हमेशा अपने भाई, थियो, पर अपनी वित्तीय निर्भरता का अफ़सोस किया। उनका यह आग्रह कि रचनात्मक संग्रह के लिए महत्वपूर्ण कठिनाई महत्वपूर्ण थी, उनकी भावनात्मक विरासत बनी।
 
 
 
वैन गोह के अंतर्द्वंद में, आप इस चित्रकार की अत्याचार से भरी आत्मा में एक आकर्षक व्यक्तित्व की खोज करेंगे और उसका कलात्मक दृष्टिकोण उसके मानसिक स्वास्थ्य से कैसे प्रभावित हुआ यह भी देखेंगे। बारीक विश्लेषण और कलाकार के अपने पत्रों के साथ, वैन गोह विशेषज्ञ लिस्बेथ हेंक, पीएच.डी., आपको वैन गोह के कार्यों को एक नई रोशनी में देखने में मदद करने के लिए विचारशील अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।
 
वैन गोह का अंतर्द्वंद: जीवन, कार्य और मानसिक रोग, वैन गोह के रहस्य कला-जीवनी श्रृंखला की प्रेरक दूसरी पुस्तक है। यदि आपको सुंदर गतिशील उद्धरण, उत्कृष्ट कृतियों के पीछे की कहानियां और एक प्रतिभा के व्यक्तिगत विचार पसंद हैं, तो आपको यह अंतरंग अध्ययन ज़रूर पसंद आएगा।
Disponível desde: 03/05/2022.
Comprimento de impressão: 62 páginas.

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  • Iron Man Sardar VallabhBhai Patel - लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल - cover

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    Sardar VallabhBhai Patel

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    Iron Man Sardar VallabhBhai Patel - लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल 
    लौह पुरुष सरदार वल्लभाई पटेल सिर्फ आदर्श व्यक्ति ही नहीं, बल्कि साहसी और प्रखर इंसान थे। उन्होंने पूरे देश को एक करने में भरपूर कोशिश की । उनका नाम तो सरदार वल्लभाई पटेल था पर उनके महान कार्यो के कारण उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी गई। 
    1 . ट्रेलर 
    लौह पुरुष सरदार वल्लभाई पटेल सिर्फ आदर्श व्यक्ति ही नहीं, बल्कि साहसी और प्रखर इंसान थे। उन्होंने पूरे देश को एक करने में भरपूर कोशिश की । उनका नाम तो सरदार वल्लभाई पटेल था पर उनके महान कार्यो के कारण उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी गई। 
    2 . सरदार का जन्म 
    सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 गुजरात के एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम झवेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था। किसान परिवार में जन्म लेने की वजह से पढ़ने लिखने में उन्हें थोड़ी तकलीफ हुई। 
    3 . सरदार और पढ़ाई 
    सरदार वल्लभ भाई पटेल एक किसान परिवार से थे। इस वजह से उनके परिवार की आर्थिक हालत इतनी अच्छी नहीं थी। पढ़ाई के लिए भला खर्चा करने की वह सोच भी नहीं सकते थे।  
    4 . सरदार और उनका त्याग 
    सरदार वल्लभाई पटेल को विलायत जाकर अपनी बैरिस्टर की पढाई करनी थी। उन्होंने पाई पाई जोड़कर विलायत जाने के पैसे भी जमा कर लिए। 
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    6 . सरदार और गांधी 
    7 . सरदार का संत्याग्रह 
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    9 . देश और जाति 
    10 . देश का हिस्सा 
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    प्रस्तावना: मिट्टी का बेटा 
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    प्रस्तावना: मिट्टी का बेटा 
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    Title: नरेन्द्र मोदी: मिट्टी से शिखर तक 
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    रक्तपथ: जंगल का क़ानून

    Gaurav Garg

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    1990 का दशक। बिहार की रक्तरंजित भूमि पर, जहाँ जाति, राजनीति और अपराध का अपवित्र गठबंधन ही परम सत्य है, आमड़ी नामक एक छोटा सा गाँव शांति से साँस लेता है। किंतु एक रात, यह शांति एक भयावह चीख़ में बदल जाती है। शक्तिशाली बाहुबली और विधायक बनने का आकांक्षी, गजेंद्र "गज्जू" सिंह, एक गहरे राजनीतिक षड्यंत्र को छिपाने के लिए पूरे गाँव को जीवित जला देता है। उस नरसंहार की राख से केवल एक शरीर जीवित बचता है—दस वर्षीय अर्जुन प्रसाद, जिसकी आँखों ने उस रात अपने पिता की हत्या और अपने संसार का विनाश देखा था। 
    एक दशक पश्चात, अर्जुन लौटता है। वह अब एक मासूम बालक नहीं, बल्कि गिद्धपुरी की गलियों में पला-बढ़ा एक कठोर, कुशल और प्रतिशोध से भरा युवक है। उसका जीवन का एकमात्र उद्देश्य है गजेंद्र सिंह का सर्वनाश। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, वह अपराध की दुनिया की सीढ़ियाँ चढ़ता है, गज्जू के प्रतिद्वंद्वी गिरोह में शामिल होता है, और स्वयं एक भयावह 'भूत' के रूप में अपनी पहचान बनाता है जो सालीमपुर के सत्ता के समीकरणों को हिला देता है। 
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    आज मनुष्य के जीवन में मनोरंजन के साधनों की सुख-सुविधा, आधुनिक टेक्नोलॉजी से देश-विदेश और शास्त्रों की जानकारी उसके हाथ में आकर सिमट गई है। ऐसी विविध संपन्नता में भी उसके दुःख तथा असंतोष की सीमा नहीं है। बाहरी तौर पर हम जिसे विकास कहते हैं, वह भीतर से मनुष्य को और भी खोखला कर रहा है। क्योंकि आज नए-नए मोह व आसक्ति ने मनुष्य को घेर रखा है। 
    हर दिन नई-नई इच्छाएँ जन्म ले रही हैं तो फिर इसका अंत कहाँ है? वह है सेल्फ के आविष्कार में! सभी मनुष्यों के भीतर सेल्फ की अखंड चेतना निरंतर प्रकाशमान है। जिसे स्वअनुभव से जानना ही मनुष्य जीवन का प्रयोजन है। 
    इस प्रयोजन को सफल बनाने के लिए आदि शंकराचार्य ने अपने छोटे से जीवन काल में जो अभूतपूर्व कामगिरी की, यह पुस्तक उसका दर्शन कराती है। साथ ही जीवन प्रयोजन की पूर्णता का मार्ग भी दिखाती है। 
    तो चलिए, पुस्तक का पठन करते हुए बढ़ते हैं, उस भीतरी मार्ग की ओर…. जो अब तक लगभग अप्रकाशित है…।
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