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सई - उपन्यास - cover
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सई - उपन्यास

डॉ. रंजना वर्मा

Editora: Pencil

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Sinopse

About the book:सई' उपन्यास नहीं नारी - जीवन की विवशता अंतर्द्वंद और उसके अस्मिता की रक्षा के लिए किए गए संघर्ष का लेखा-जोखा है। यह केवल सई की ही कथा नहीं है वरन संपूर्ण नारी जाति की व्यथा - कथा है । उसके अश्रु और हास का संपूर्ण इतिहास है । उसकी विजय और पराजय की लहरों से युक्त समाज रूपी समुद्र की जीवन - यात्रा है जिसमें सिंधु के विकट गर्जन के साथ उसी के हृदयाकाश में विलीन हो जाने वाली गंगा की विभिन्न विवश उर्मियों का विलाप भी समाहित है ।        प्रत्येक स्त्री गंगा की पावनता नहीं प्राप्त कर सकती । प्राप्त भी कर ले तो भी उस महिमा-मंडित पद तक पहुंच जाए यह संभव नहीं हो पाता । सई गंगा सी होकर भी गंगा नहीं मात्र 'सई' है । उसे जानने के लिए प्रस्तुत उपन्यास पढ़ें - 'सई'।  
Disponível desde: 25/11/2021.

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    यह ऑडियोबुक प्रकृति के प्रकोप, मानव साहस और भाग्य के निर्दयी मोड़ की एक सशक्त दास्तान है — धनुषकोड़ी की अंतिम ट्रेन सुनने के बाद उसकी गूंज लंबे समय तक आपके मन में बनी रहेगी। 
    सूची: 
    प्रस्तावना – भूतिया स्टेशन की रहस्यमयी रात 
    अध्याय 1 – भुलाए हुए नगर के किनारे 
    अध्याय 2 – अजनबी की डायरी 
    अध्याय 3 – अधूरी यात्रा 
    अध्याय 4 – रामसेतु की फुसफुसाहट 
    अध्याय 5 – अंतिम टिकट कलेक्टर 
    अध्याय 6 – चक्रवात की रात 
    अध्याय 7 – विशाल लहर 
    अध्याय 8 – भूतिया ट्रेन की वापसी 
    अध्याय 9 – निर्णायक विकल्प 
    अध्याय 10 – उपसंहार: अंतिम प्रस्थान 
    Title: धनुषकोड़ी की अंतिम ट्रेन ( Last Train to Dhanushkodi ) 
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    Language: Hindi 
    File Type: Mp3 
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    Audiobook Narrated and Published by: Sweet Audible (2025) 
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    शांति - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - Shanti - Munshi Premchand Ki Kahani 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'शांति' एक मार्मिक और जीवन की सच्चाई को उजागर करने वाली कथा है, जो स्त्री की सहनशीलता, त्याग और प्रेम को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करती है। इस कहानी में प्रेमचंद ने एक नारी के हृदय की गहराई और उसकी संघर्षपूर्ण स्थिति को बड़े प्रभावी ढंग से उकेरा है। 'शांति' कहानी के माध्यम से प्रेमचंद ने स्त्री के अंदर छिपे साहस, करुणा और सहिष्णुता को उजागर किया है।  
    यह कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे समाज की मान्यताओं के बीच स्त्री अपनी गरिमा और आत्मसम्मान बनाए रखती है। हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए यह कहानी जीवन के गहन मर्म को समझने और स्त्री के त्याग को सराहने का एक अनूठा अनुभव है। इसे अवश्य सुनें और अपने विचार साझा करें।  
    🔸 कहानी का नाम: शांति  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: भावनात्मक, सामाजिक  
    🔸 मुख्य विषय: स्त्री का त्याग, सहिष्णुता, समाज में स्त्री का स्थान  
    🔸 मुख्य पात्र: शांति और उसके जीवन की कठिनाइयाँ  
    🌟 कहानी के मुख्य बिंदु:  
    स्त्री की सहनशीलता और त्याग  
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    प्रेमचंद की संवेदनशील लेखनी का प्रभाव  
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    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
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    दिल की रानी - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Dil Ki Rani - Munshi Premchand Ki Kahani 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'दिल की रानी' मानवीय संबंधों, नारी सम्मान और आत्मसम्मान की एक दिल छू लेने वाली कहानी है। यह कहानी समाज की रूढ़ियों और नारी के संघर्षों को उजागर करती है, जहां 'दिल की रानी' अपने आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए खड़ी होती है। प्रेमचंद की लेखनी की यह उत्कृष्ट कृति हर पाठक को गहराई से सोचने पर मजबूर कर देती है। 
    🔸 कहानी का नाम: दिल की रानी 
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: सामाजिक, भावनात्मक  
    🔸 मुख्य विषय: नारी सम्मान, प्रेम, समाज  
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    समाज की रूढ़ियों का प्रभाव  
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    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
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  • Griha Daah - Munshi Premchand Ki Kahani - गृह दाह - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - cover

    Griha Daah - Munshi Premchand Ki...

    Munshi Premchand

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    गृह दाह - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - Griha Daah - Munshi Premchand Ki Kahani 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'गृह दाह' एक संवेदनशील और गहन कथा है जो पारिवारिक जीवन के तनाव, रिश्तों के संघर्ष, और मानवीय भावनाओं के उतार-चढ़ाव को प्रस्तुत करती है। यह कहानी एक परिवार के भीतर के संघर्षों और उनके प्रभावों को बेहद मार्मिक ढंग से सामने लाती है।  
    इस मार्मिक कहानी को सुनें और जानें कि कैसे 'गृह दाह' हमें पारिवारिक जीवन के महत्व और रिश्तों की गहराई को समझने का अवसर देती है। यह कहानी आपके दिल को छू जाएगी। 
    🔸 कहानी का नाम: गृह दाह  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: सामाजिक, पारिवारिक  
    🔸 मुख्य विषय: पारिवारिक कलह, रिश्तों का महत्व  
    🔸 मुख्य पात्र: गृहस्थ जीवन में संघर्षरत परिवार  
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    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
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