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अँगना कँगना - उपन्यास - cover
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अँगना कँगना - उपन्यास

डॉ. रंजना वर्मा

Editora: Pencil

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Sinopse

About the book:यह एक स्त्री के प्रेम की कहानी है जिसे परिस्थितियां बार बार उसके प्रिय से दूर कर देती हैं । कभी सामाजिक परम्पराएं तो कभी अमीरी गरीबी की दीवार उनके प्रेम को सफल नहीं होने देती । यह एक नारी के प्रिय की इच्छा पर अपनी कामनाओं को बलिदान कर देने की कहानी है । नारी के संघर्ष और विवशता को उपन्यास में भलीभाँति अभिव्यक्त किया गया है । समाज कभी उससे परिवार की खुशियों के लिये बलिदान मांगता है तो कभी परिस्थितियाँ ही उससे छल कर जाती हैं । क्या होता है फिर ? क्या वह अपने प्रिय को पाने में सफल हो पाती है ? जानने के लिये पढ़िये उपन्यास - 'अँगना कँगना'
Disponível desde: 22/12/2021.

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    45 Rupye Mahine - Malgudi Days by R. K. Narayan - 45 रूपए महीने - मालगुडी डेज़ आर. के. नारायण 
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    “एहसास, तुम मिले और जिंदगी” कविता में प्रेम और समर्पण की भावनायें उजागर होती हैं वहीँ “हमजोली” तथा “हमसफ़र” में कुछ निराशा, हताशा के भाव सामने आते हैं | “क्यूँ” “जाने क्यूँ” और “मन करता है” कवितायों में नारी के मन में अनेक प्रश्न उठते दिखते हैं |  
    “वो आसमा अपना“ एवं “किनारे की आस“ जैसी कवितायेँ जीवन में उम्मीद भी जगाती दिखती हैं | 
     “बूंदे”  कविता , केदारनाथ धाम जून२०१३ की आपदा में अपनों को खोने वालो के दुखी मन की व्यथा से प्रेरित है. 
    “कांच के रिश्ते” तथा “ना अलग करो उन्हें” जैसी कविताओं में कहीं आप जीवन के बदलते संबंधो और रिश्तों के प्रश्नों को समझने की कोशिश अवश्य कर सकेंगे, तो कहीं जीवन जीने की अलग राह पर चल पड़ेंगे |अपने जीवन को खुशहाल बनाना चाहते हैं तो आप इन कविताओं को जरुर पढ़े | ये कविताएँ आपको एक नई सोच और नई दिशा में ले जाने का प्रयत्न है | 
    इस सरगम की कवितायों के स्वरों के माध्यम से अपने आपसी रिश्तों  में उन छोटे-छोटे खुशनुमा पलों को  पकड़ना सीखें और आपस में खुश रहने की कोशिश करें, क्यूंकि अक्सर खुशियाँ आपके आस-पास ही होती है |  
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  • Namak Ka Daroga - Munshi Premchand - नमक का दरोगा - मुंशी प्रेमचंद - cover

    Namak Ka Daroga - Munshi...

    Munshi Premchand

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    नमक का दरोगा 
    यह कहानी मुंशी वंशीधर की है, जो ईमानदार है और उसने कालाबाजारी के विरुद्ध आवाज़ उठाई। लेकिन जिस समाज में भ्रष्टाचार का बोलबाला हो, उसमें क्या ईमानदारी और सच्चाई टिक पाएगी? मुंशी प्रेमचंद की कहानी इसी पर आधारित है।कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद 
    कलम के जादूगर प्रेमचंद की कहानियाँ आज भी बड़े ही ध्यान और सम्मान के साथ सुनी जाती हैं। आज हम लेकर आए हैं प्रेमचंद की वो कहानियाँ जो उनके कथा संकलन ‘मान सरोवर’ से ली गई हैं। प्रेमचंद की कहानियाँ अपने समय की हस्ताक्षर हैं जिनमें आप तब के परिवेश और समाज को भी बखूबी समझ सकते हैं। यूं तो मुंशी जी ने अपनी कहानियाँ हिंदी में ही लिखी हैं फिर भी हमारा ये प्रयास है की उनकी कहानियाँ ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचे और इसलिए हमने उन्हें थोड़ी और सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। इन कहानियों को ख़ास आपके लिए तैयार किया है। तो आइए सुनते हैं प्रेमचंद की विश्व प्रसिद्ध कहानियाँ!  
    Munshi Premchand’s real name was Dhanpat Rai. He was born on 31 July 1880 in Lamhi village in Banaras. He was born into a middle class family which made him keenly observe the poverty and disadvantages of the middle class society. He dedicated his whole life to Hindi literature. He was honoured with the titles of a short-story writer, a novelist and a social reformer. He died on 8 October, 1936.In this collection of short stories, Premchand has thrown light on the different aspects of society such as social systems, faith and religion. The story ‘Kafan’ reflects the poverty-stricken upbringing of Premchand and depicts the struggles of the poor for survival.
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