Rejoignez-nous pour un voyage dans le monde des livres!
Ajouter ce livre à l'électronique
Grey
Ecrivez un nouveau commentaire Default profile 50px
Grey
Abonnez-vous pour lire le livre complet ou lisez les premières pages gratuitement!
All characters reduced
मुझे अपनी माँ से बहुत प्यार है - cover

मुझे अपनी माँ से बहुत प्यार है

Shelley Admont, KidKiddos Books

Maison d'édition: KidKiddos Books

  • 0
  • 0
  • 0

Synopsis

प्रत्येक व्यक्ति हमेशा अपनी माँ से प्यार करता है, चाहें वह कितना भी बड़ा हो जाये। सोते समय बच्चों को सुनाने वाली इस कहानी में छोटा खरगोश जिम्मी और उसके बड़े भाई अपनी माँ के जन्मदिन के लिए एक बढ़िया उपहार ढूँढने में लगे हैं। वे उन्हें दिखाना चाहते हैं कि वे उन्हें कितना प्यार करते हैं।
अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उन्होंने अंत में क्या रास्ता ढूँढा? यह तो आपको खूबसूरत चित्रों से सजी इस मज़ेदार कहानी को पढ़ने के बाद ही पता चलेगा।
बच्चों की यह किताब सोते समय सुनाने वाली छोटी कहानियों के संग्रह का एक हिस्सा है।
यह कहानी सोते समय अपने बच्चों को सुनाने के लिए तो आदर्श है ही, साथ ही पूरे परिवार के लिए भी मनोरंजक है।
Disponible depuis: 20/01/2023.
Longueur d'impression: 34 pages.

D'autres livres qui pourraient vous intéresser

  • Khwahis - cover

    Khwahis

    आयुषी खरे

    • 0
    • 0
    • 0
    दिल वालों के भारत के दिल में बसे इक शहर की ये कहानी, कहानी एक मुहब्बत की, कहानी दो दिलों की. दिल! दिल, इस ही से तो शुरू होता है, हर फ़साना; इस ही पर तो मुकम्मल होती है हर मुहब्बत. हर एहसास का ठिकाना, हर दिल्लगी की रहगुज़र, ये दिल. मिलिए राजीव और सरगम से, आपकी अपनी ज़िन्दगी से इत्तेफ़ाक रखती उनकी ज़िन्दगी से, कुछ हकीकतों से, बेहद और बेशर्त मुहब्बत से और इक ख़्वाहिश से, मुहब्बत की इस खूबसूरत दास्ताँ ख़्वाहिश में...
    Voir livre
  • Bistar ke Neeche ka Dosh! - Alien aur Bachche ki Dosti - cover

    Bistar ke Neeche ka Dosh! -...

    Dharmendra Mishra

    • 0
    • 0
    • 0
    रात की खामोशी में जब रोहन ने हल्की-सी सरसराहट सुनी,तो उसे लगा यह उसका वहम है… पर सच यह था कि उसके बिस्तर के नीचे कोई और था। 
     कोई, जो इंसान नहीं था…कोई, जो कुछ खो चुका था...उसे ढूँढने आया था इस दुनिया में। 
    रात के सन्नाटे में जब रोहन ने बिस्तर के नीचे हल्की-सी सरसराहट सुनी, तो उसकी धड़कनें कानों में गूंजने लगीं।  शायद हवा होगी… या फिर उसका वहम। 
     लेकिन वहीँ, अंधेरे की तह से किसी ने उसकी ओर देखा। 
     बस एक उपस्थिति। वो कुछ ढूँढ रहा था, जैसे इस दुनिया में उसका कुछ खो गया हो। 
      रोहन को लगा... दूसरी दुनिया से आई पुकार है ?
    Voir livre
  • Miracle of Gratitude The (Hindi) - cover

    Miracle of Gratitude The (Hindi)

    Sirshree

    • 0
    • 0
    • 0
    The Glory of Thankfulness 
    जहाँ कृतज्ञता होती है, 
    वहाँ प्रकृति की महिमा खिल उठती है… 
    किसी के प्रति आभार प्रकट करने के लिए हम धन्यवाद, शुक्रिया, थैंक्यू, आभार आदि शब्दों का प्रयोग करते हैं। दरअसल ‘धन्यवाद’ यह शब्द एक छोटी सी चुंबकीय प्रार्थना है। जिसे अलग-अलग भाषाओं में, अलग-अलग तरह से कहा जाता है। धन्यवाद कहते ही कुदरत की सुंदरता और उसकी शक्तियाँ हमारे आस-पास जीवित हो जाती हैं। हमें कुदरत के अद्भुत चमत्कारों को देखने का अवसर मिलता है। 
    अब सवाल यह उठता है कि क्या कुदरत को सभी भाषाओं का ज्ञान है? अगर वह भाषा ही सुन रही होती तो क्या होता? कैसे सभी का हिसाब-किताब रखती? मगर ऐसा नहीं है! कुदरत भाषा नहीं, भाव तरंग समझती है। 
    कुदरत में आपके द्वारा कहे गए शब्द नहीं, आपकी भावना पहुँचती है और वह कार्य करती है। जैसे- जब आपको कोई चीज़ जो आप चाहते थे, वह मिल जाती है तो उसके लिए आप धन्यवाद कहते हैं यानी आप ‘है’ की फीलिंग में हैं। इसी प्रकार जो चीज़ आपके पास नहीं है और आप उसे पाना चाहते हैं तो उसके लिए भी जब आप धन्यवाद देते हैं तब यूनिवर्स आपके कहे शब्दों पर नहीं बल्कि ‘है’ की फीलिंग को जान रही होती है। यह कुदरत के देने का रहस्य है। यही ग्लोरी ऑफ थैंकफुलनेस यानी कृतज्ञता की महिमा है। 
    इसे समझकर यदि हम कृतज्ञता के साथ कुदरत संग तालमेल बिठाते हैं तो जीवन की धारा हमें खुशी और संतोष की ओर बड़ी सरलता से ले जाती है।
    Voir livre
  • Kabhi Apne Liye - cover

    Kabhi Apne Liye

    पूनम अहमद

    • 0
    • 0
    • 0
    मुझे बचपन से आज तक एक ही शौक रहा है पढ़ना और बस पढ़ना, पढ़ते-पढ़ते ही कब लिखने भी लगी, पता ही नहीं चला। लिखने का सिलसिला शुरू होते ही आसपास के पात्र ही मेरे इर्द-गिर्द मंडराने लगे। कोई भी घटना,पात्र या विचार आते ही डायरी के पन्ने के साथ साथ मन के पन्नों पर भी लिखा जाता गया। मन के भाव धीरे धीरे अक्षरों के आकार लेने लगे, ऑब्जरवेशन से ही कहानियाँ बनने लगीं। दस तरह के लोगों से जो दस बातें सुनती हूँ, वही एक काल्पनिक पात्र के मुँह से उगलवा लेती हूँ। यह किताब छोटी कहानियों का एक छोटा सा संसार है, जहाँ हर सभी को अपने जीवन का एक अंश साँस लेता मिल जायेगमैं बहुत आम सी गृहिणी हूँ, मेरे पास राजनीतिक, सामाजिक,धार्मिक या कोई आर्थिक प्रभामंडल नहीं है, बस, थोड़े से शब्द हैं, शब्द ही मेरा साहस, मेरी ख़ुशी, मेरे सपने, सामर्थ्य हैं, यही शब्द शब्द जुड़कर मेरी कहानी बन जाते है। लेखन के माध्यम से लोगों के दिलों को छूना मुझे भाता है, लिखने में मुझे एक अलग ही आनंद आता है। कुछ पत्रिकाओं से बेस्ट स्टोरी का पुरस्कार भी मिला, अब तक करीब चार सौ कहानियां, कई लेख लिख चुकी हूँभाषा के मामले में मेरी सोच शुरू से ही एक जैसी है, भाषा ऐसी हो जो पाठक को सीधे कहानी के साथ जोड़ दे, बीच में रुकावट न बन खड़ी हो। सरल भाषा लिखना मुश्किल काम होता है इसी दिशा में मैंने हमेशा कोशिश की है। मेरी कहानियों के पात्र मेरे साथ बैठे होते हैं,मैं उन्हें लिखते हुए महसूस करती हूँ, उनकी कहानियां लिखते-लिखते कभी हँस देती हूँ, कभी रो भी पड़ती हूँ। इसी संकलन की कहानी, कब जाओगे प्रिय, लिखते-लिखते बहुत हँसी भी हूँ क्योकि मेरे पति भी टूर पर जाते रहते हैंमिनी की नई ईयर पार्टी में खुद को ‘बडी’ बनाकर लिखने में मुझे बहुत आनंद आया, बीच की दीवार में कितनी ही बार आँखें पोंछीं, कहानी 'आज की लड़की ' की खुशबू कोई काल्पनिक पात्र नहीं है। यह बहुत करीबी लड़की खुशबू जिसकी कहानी से मैं इतना प्रभावित हुई कि मैंने खुशबू का नाम भी नहीं बदला, इसकी कहानी ज्यूँ की त्यूँ पन्नों पर उतारती चली गयी। मेरी कहानियाँ पाठकों के मन को छू जाएँ तो मैं अपनी लेखनी को सार्थक समझूँगी।।
    Voir livre
  • Maila Aanchal - Phanishwar Nath Renu - मैला आँचल - फणीश्वरनाथ रेणु - cover

    Maila Aanchal - Phanishwar Nath...

    Phanishwar Nath Renu

    • 0
    • 0
    • 0
    ‘मैला आँचल’ हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ट रुप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है। 
    ‘मैला आँचल’ का कथानक एक युवा डॉक्टर है जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पिछड़े गाँव को अपने कार्य-क्षेत्र के रुप में चुनता है, तथा इसी क्रम में ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दुःख-दैन्य, अभाव, अज्ञान, अन्धविश्वास के साथ-साथ तरह-तरह के सामाजिक शोषण-चक्रों में फँसी हुई जनता की पीड़ाओं और संघर्षों से भी उसका साक्षात्कार होता है। कथा का अन्त इस आशामय संकेत के साथ होता है कि युगों से सोई हुई ग्राम-चेतना तेजी से जाग रही है। 
    कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथाशिल्प के साथ-साथ भाषाशिल्प और शैलीशिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहज-स्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी। 
    फणीश्वरनाथ रेणु जन्म : 4 मार्च, 1921; जन्म-स्थान : औराही हिंगना नामक गाँव, ज़िला पूर्णिया (बिहार)। हिन्दी कथा-साहित्य में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण रचनाकार। दमन और शोषण के विरुद्ध आजीवन संघर्ष। राजनीति में सक्रिय हिस्सेदारी। 1942 के भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में एक प्रमुख सेनानी। 1950 में नेपाली जनता को राणाशाही के दमन और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशस्त्र क्रान्ति और राजनीति में योगदान। 1952-53 में दीर्घकालीन रोगग्रस्तता। इसके बाद राजनीति की अपेक्षा साहित्य-सृजन की ओर अधिकाधिक झुकाव। 1954 में बहुचर्चित उपन्यास ‘मैला आँचल’ का प्रकाशन। कथा-साहित्य के अतिरिक्त संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोर्ताज़ आदि विधाओं में भी लिखा। व्यक
    Voir livre
  • Chalo Buddha Ki Aur - cover

    Chalo Buddha Ki Aur

    डॉ. शिवाजी सिंह

    • 0
    • 0
    • 0
    भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की, बौद्ध धर्म 
    के तिरत्न है :-0 बुद्ध 
    9 
    धम्म 3 संघ भावही 
    बौद्ध धर्म के पांच श्रील हे तथा अष्टांगिक मार्ग हूँ। भगवान बुद्ध का सिद्धान्त तीन स्तम्भों पर आधारित है 
    बुद्धि 
    साहस 
    3 करुणा 
    बौद्ध धर्म के चार कापि सत्य हे : दुःख, दुःख समुदय, 
    दुःख निरोध, दुःख निरोध मार्ग 
    इन चारो आर्य सत्य के आधार पर ही बौद्ध धर्म की शिक्षाए दी जाती है। बोद्ध धर्म का मकसद लोगो को दुःख से मुक्ति दिलाना और उनका कल्यान करना है।
    Voir livre