¡Acompáñanos a viajar por el mundo de los libros!
Añadir este libro a la estantería
Grey
Escribe un nuevo comentario Default profile 50px
Grey
¡Escucha online los primeros capítulos de este audiolibro!
All characters reduced
Ak Rukhi Huyi Chitthi - Malgudi Days by R K Narayan - एक रूखी हुई चिट्ठी - मालगुडी डेज़ आर के नारायण - cover
REPRODUCIR EJEMPLO

Ak Rukhi Huyi Chitthi - Malgudi Days by R K Narayan - एक रूखी हुई चिट्ठी - मालगुडी डेज़ आर के नारायण

R. R.K.Narayan

Narrador R. R.K.Narayan

Editorial: LOTUS PUBLICATION

  • 0
  • 0
  • 0

Sinopsis

Ak Rukhi Huyi Chitthi - Malgudi Days by R. K. Narayan - एक रूखी हुई चिट्ठी - मालगुडी डेज़ आर. के. नारायण 
“Ek Rukhi Huyi Chitthi” is a heartfelt Hindi audiobook from R. K. Narayan’s iconic collection, Malgudi Days. This story revolves around a postman named Thannappa who puts others' happiness above his duty. Listen to this emotional Malgudi Days story in Hindi and explore the human side of responsibility, sacrifice, and love. 
"एक रूखी हुई चिट्ठी' थनप्पा नामक एक डाकिये की कहानी है। वह अपने परिवार को अपने काम से अधिक महत्व देता है। वह 'विनायक मुदाली स्ट्रीट' के सभी लोगों से बहुत करीब है, खासकर रामानुजम और उसके परिवार से। थनप्पा जानता था कि रामानुजम अपनी बेटी की शादी को लेकर चिंतित हैं। हालांकि रामानुजम के ससुर ने शादी के लिए rs.5000 की बचत की थी, लेकिन फिर भी उसे अपनी बेटी के लिए कोई योग्य वर नहीं मिल रहा था। थनप्पा ने दिल्ली में एक लड़का देख रखा था। लड़के का परिवार कामाक्षी से मिला और उनकी बात बन गयी। शुरुआत में रामानुजम को बहुत गुस्सा आया, लेकिन फिर उसने थानप्पा को माफ़ कर दिया क्योंकि उसका इरादा नेक था। "लेखक आर. के. नारायण 
“ मालगुडी डेज” भारत के प्रख्यात लेखक आर.के.नारायण द्वारा रचित एक काल्पनिक शहर की कहानी है और इसी तर्ज पर कन्नड़ अभिनेता और निर्देशक शंकर नाग ने इस पर 1986 में एक टीवी सीरियल का निर्देशन भी किया, जिसे 'मालगुडी डेज़' कहते हैं। मालगुडी, दक्षिण भारत के मद्रास से कुछ घंटों की दूरी पर स्थित एक काल्पनिक गाँव है जो की आर.के.नारायण की ही कल्पना थी। यह शहर मेम्पी जंगल के पास सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। इस जगह की वास्तविकता के बारे में खुद आर.के.नारायण भी अनजान थे। कई लोग इसे कोइम्बतुर में मानते हैं क्योंकि वहां पर भी ऐसी ही इमारतें और घर थे।
Duración: 13 minutos (00:13:17)
Fecha de publicación: 18/04/2025; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —