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अन्न में जीवन - स्वर्ग में ओल्ड विली जोन्स की अद्भुत कहानी! - cover

अन्न में जीवन - स्वर्ग में ओल्ड विली जोन्स की अद्भुत कहानी!

Owen Jones

Publisher: Tektime

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Summary

अन्न में जीवन सीधे वहीं से जारी है जहां से अन्न में एक रात ने छोड़ा था - यानी विली के अंतिम संस्कार के स्वागत समारोह में। वह गुजर चुका है और आखिरकार पत्नी के साथ है जिसे वह एक दशक या उससे अधिक समय से याद कर रहा है, उसकी प्यारी सारा। हालाँकि, शुरुआत से ही, स्वर्ग के लिए प्राचीन वेल्श शब्द, लाइफ़ इन एनवन, वह नहीं है जिसकी वह पृथ्वी पर अपने लगभग पूरे समय से अपेक्षा कर रहा था, या द सरफेस, जैसा कि सारा, उसकी पत्नी, कहती है, जैसा कि अन्नवन है भूमिगत। उसका पहला आश्चर्य तब होता है जब सारा उसे उसके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया से उबरने के लिए एक सराय में ले जाती है, लेकिन यह वहाँ नहीं रुकता। हर 'दिन' नए आश्चर्य प्रकट करता है, जब तक कि जिसे रहस्यमय तरीके से ब्लॉक कहा जाता है वह नीचे नहीं आता है और वह मृत्यु के बाद के जीवन का अनुभव करता है जैसा वह वास्तव में है। अन्न में जीवन अपने आप में एक आश्चर्य है, लेकिन यह एक वैकल्पिक वास्तविकता पर एक हास्यपूर्ण नज़र भी है जो आपके द्वारा कभी भी पढ़ी गई किसी भी चीज़ की तुलना में सत्य के करीब हो सकती है! लाइफ इन अन्नन अवश्य पढ़ें, क्योंकि यह आपके आस-पास सब कुछ देखने के तरीके को बदल सकता है।PUBLISHER: TEKTIME
Available since: 06/17/2023.

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    बेटी का धन - मुंशी प्रेमचंद - Beti Ka Dhan - Munshi Premchand 
    महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी 'बेटी का धन' समाज में बेटियों की स्थिति, परिवार की संवेदनाएं और माता-पिता के त्याग को दर्शाती है। यह कहानी भावनाओं का ऐसा संगम है, जो आपके दिल को छू लेगी और सोचने पर मजबूर कर देगी। 
    🔸 कहानी का नाम: बेटी का धन  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: सामाजिक, संवेदनशील, परिवार आधारित 
    🔸 मुख्य विषय: बेटियों का महत्व, परिवार की भावनाएं, त्याग और प्रेम 
    🌟 इस कहानी से क्या सीखें: 
    बेटियों का समाज और परिवार में महत्व 
    माता-पिता का निःस्वार्थ प्रेम 
    त्याग और बलिदान का गहरा संदेश 
    ✨ यह कहानी आपको एक अनमोल सीख देगी। इसे पूरा सुनें और अपने विचार साझा करें। 
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
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    मुक्तिधन - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | MuktiDhan - A Story by Munshi Premchand 
    "मुक्तिधन" मुंशी प्रेमचंद की एक प्रेरक और सामाजिक कहानी है, जो धन-संपत्ति, मानवीय मूल्यों और आत्म-संतोष के बीच के संघर्ष को उजागर करती है। इस कहानी में प्रेमचंद ने यह दर्शाया है कि सच्चा धन भौतिक संपत्ति में नहीं, बल्कि मानवीय करुणा, त्याग और आत्मिक संतोष में निहित होता है। 
    🔸 कहानी का नाम: मुक्तिधन  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 मुख्य विषय: त्याग, आत्म-संतोष, और मानवीय मूल्य 
    🔸 भावनात्मक दृष्टिकोण: प्रेरणादायक, गहन, और विचारोत्तेजक 
    🌿 कहानी के मुख्य बिंदु: 
    भौतिक संपत्ति बनाम आत्मिक सुख का संघर्ष 
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    मुंशी प्रेमचंद की यह कहानी हमें सिखाती है कि असली "मुक्तिधन" वह है, जो हमारे जीवन को शांति और सच्चे आनंद से भर दे। अगर यह कहानी आपके दिल को छू जाए, तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। 
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के एक महान लेखक थे। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन वे प्रेमचंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गांव में हुआ था। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं और संघर्षों को उजागर किया। 
    प्रेमचंद की प्रमुख कृतियों में 'गोदान', 'गबन', 'निर्मला', 'सेवासदन', 'रंगभूमि' और 'कफन' शामिल हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज के निम्न और मध्यम वर्ग की जिंदगी की सजीव तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। वे सामाजिक न्याय, नैतिकता और मानवीय मूल्यों के पक्षधर थे। प्रेमचंद का साहित्य सरल भाषा, मार्मिक शैली और यथार्थवादी दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और इसे जनसाधारण के करीब लाया। 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनका साहित्य आज भी प्रेरणादायक है और हिंदी साहित्य का अमूल्य हिस्सा है।
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    दीक्षा - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Deeksha - Munshi Premchand Ki Kahani 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'दीक्षा' जीवन के आदर्शों और नैतिक मूल्यों का एक मार्मिक चित्रण है। यह कहानी उस आंतरिक संघर्ष और शिक्षा को उजागर करती है, जो किसी व्यक्ति को एक सच्चे और ऊँचे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। 'दीक्षा' के माध्यम से प्रेमचंद ने यह दर्शाया है कि जीवन में सच्ची सफलता और सम्मान केवल बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि आंतरिक सुधार और दृढ़ संकल्प से प्राप्त होती है। यह कहानी न केवल प्रेरित करती है, बल्कि पाठकों को जीवन के गहरे अर्थों से परिचित कराती है।  
    🔸 कहानी का नाम: दीक्षा  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: प्रेरणादायक, नैतिक  
    🔸 मुख्य विषय: नैतिकता, आत्मसंस्कार, और जीवन के आदर्श  
    🔸 मुख्य पात्र: एक साधक और उसकी जीवन यात्रा  
    🌟 कहानी के मुख्य बिंदु: आत्मसंस्कार और नैतिकता का महत्व प्रेरणादायक जीवन पाठ प्रेमचंद की गहरी और विचारोत्तेजक लेखनी समाज और व्यक्ति के बीच का संबंध 
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
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  • Khujli-Mujli-Kids Fantasy & Story Planet - Episode-9 - cover

    Khujli-Mujli-Kids Fantasy &...

    Dharmendra Mishra

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    Khujli-Mujli-Kids Fantasy & Story Planet 
    🎧 बच्चों के लिए एक ऐसी ऑडियोबुक जो उन्हें हीरो बना देगी! 
    क्या आपका बच्चा भी बाकी बच्चों जैसा ही है? अगर हाँ, तो उसे मिलाइए खुजली और मुजली से! ये दो बच्चे कोई साधारण बच्चे नहीं, बल्कि उनके पास है एक असाधारण माइंड सुपरपावर! 
    ना कोई जादू, ना कोई मंत्र, बस आत्मबल और समझदारी की कहानी जो सिखाएगी कि सच्ची शक्ति हमारे अंदर ही होती है। 
    इस ऑडियोबुक में क्या है ख़ास? 
    प्रेरणादायक कहानी: खुजली एक डरा हुआ और मुजली एक उपेक्षित लड़का, पर जब ये साथ आते हैं तो सबकी सोच बदल देते हैं। 
    मज़ेदार क्विज़ और सीख: कहानी के साथ-साथ ऐसे क्विज़ जो बच्चों के दिमाग को तेज़ बनाएंगे। 
    आसान भाषा और प्यारी आवाज़: इस ऑडियोबुक को सुनने में बहुत मज़ा आएगा। 
    लेखक: जाने-माने बाल साहित्यकार धर्मेंद्र मिश्रा की अनोखी पेशकश। 
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    मैं मोसरा - रोसवेल का उत्तरजीवी

    B. Mich. Grosch

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    विवरण: 
    विज्ञान कथा उपन्यास 'आई, मोसरा' रोसवेल दुर्घटना की कहानी और उसके बाद की घटनाओं को 'एलियन' मोसरा के दृष्टिकोण से बताता है। पाठक सीखता है कि कैसे और क्यों ऐसा हुआ कि पृथ्वी पर मानवता ने खुद को मिटा दिया और कैसे 'कुलीनों' के कुछ बचे हुए लोग समय पर एक अंतरिक्ष यान को पूरा करने में कामयाब नहीं हुए जो लंबे समय से निर्माणाधीन था ताकि वे बच सकें और बाकी मानवता को नष्ट होने दें। इस साहसिक उपन्यास में आधुनिक राजनीति की तर्कहीनता और घटियापन को उजागर किया गया है, साथ ही मानव भविष्य और मानव जाति के वंशजों के लिए संभावित परिदृश्य भी हैं। यह खूनी 'स्टार वार्स' के बारे में नहीं है, बल्कि मानव जाति के भविष्य की संभावनाओं और अगर-मगर के बारे में है।(अनुवादित, AI का उपयोग करके) 
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  • Subhagi - Munshi Premchand - सुभागी - मुंशी प्रेमचंद - cover

    Subhagi - Munshi Premchand -...

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    Subhagi - Munshi Premchand - सुभागी - मुंशी प्रेमचंद 
    'सुभागी' मुंशी प्रेमचंद लिखित गांव की एक भोलीभाली लड़की की कहानी है। इस कहानी में मुंशीजी ने पुरुष शासित समाज में एक नारी के आत्ममर्यादा के संघर्ष के बारे में बताया है। यह एक मधुर व मर्मस्पर्शी कथा है।1 . छोटी सुभागी 
    शो के पहले एपिसोड में मिलिये हमारी छोटी सी सुभागी से महज़ ग्यारह वर्ष की सुभागी अपने माता-पिता को हमेशा खुश और सुखी रखने की कामना करती है. सारा दिन बाज़ार में मेहनत कर जो भी कमाती है, वो अपने माता-पिता के लिये जमा करती है. ऐसी सयानी बिटिया के माता-पिता को भला, उस पर गर्व कैसे ना हो. लेकिन सुभागी के जीवन से जुड़ी एक चिंता उन्हें हमेशा खाये जाती है. आइये उनकी इस चिंता के बारे में सुनते हैं2 . बंटवारा 
    सुभागी ने कभी भी अपने भैया और भाभी की गृहस्थी में अपने कारण कोई परेशानी नहीं आने दी है. फिर भी वो उन्हें एक आंख नहीं भाती है. वे हमेशा उसे कोसते रहते हैं. यहाँ तक की अपने माता-पिता को भी बुरा-भला कह देते हैं. इस बार तो उन्होंने हद पार कर दी! भरी पंचायत में बंटवारा की मांग की, सुभागी को लगता है कि इस बटवारे के पीछे की असली वजह वह है. क्या उसका यह डर सही है?3 . भाई या बैरी 
    इस एपिसोड में सुनिये किस तरह एक बेटा अपने माता-पिता के प्रति अपना फ़र्ज़ निभाने से इनकार करता है और एक बेटी, बेटा बनकर उनका सहारा बनकर दिखाती है4 . किस्त की पक्की 
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