Subhagi - Munshi Premchand - सुभागी - मुंशी प्रेमचंद
Munshi Premchand
Narrador Munshi Premchand
Editora: LOTUS PUBLICATION
Sinopse
Subhagi - Munshi Premchand - सुभागी - मुंशी प्रेमचंद 'सुभागी' मुंशी प्रेमचंद लिखित गांव की एक भोलीभाली लड़की की कहानी है। इस कहानी में मुंशीजी ने पुरुष शासित समाज में एक नारी के आत्ममर्यादा के संघर्ष के बारे में बताया है। यह एक मधुर व मर्मस्पर्शी कथा है।1 . छोटी सुभागी शो के पहले एपिसोड में मिलिये हमारी छोटी सी सुभागी से महज़ ग्यारह वर्ष की सुभागी अपने माता-पिता को हमेशा खुश और सुखी रखने की कामना करती है. सारा दिन बाज़ार में मेहनत कर जो भी कमाती है, वो अपने माता-पिता के लिये जमा करती है. ऐसी सयानी बिटिया के माता-पिता को भला, उस पर गर्व कैसे ना हो. लेकिन सुभागी के जीवन से जुड़ी एक चिंता उन्हें हमेशा खाये जाती है. आइये उनकी इस चिंता के बारे में सुनते हैं2 . बंटवारा सुभागी ने कभी भी अपने भैया और भाभी की गृहस्थी में अपने कारण कोई परेशानी नहीं आने दी है. फिर भी वो उन्हें एक आंख नहीं भाती है. वे हमेशा उसे कोसते रहते हैं. यहाँ तक की अपने माता-पिता को भी बुरा-भला कह देते हैं. इस बार तो उन्होंने हद पार कर दी! भरी पंचायत में बंटवारा की मांग की, सुभागी को लगता है कि इस बटवारे के पीछे की असली वजह वह है. क्या उसका यह डर सही है?3 . भाई या बैरी इस एपिसोड में सुनिये किस तरह एक बेटा अपने माता-पिता के प्रति अपना फ़र्ज़ निभाने से इनकार करता है और एक बेटी, बेटा बनकर उनका सहारा बनकर दिखाती है4 . किस्त की पक्की पिता के जाने के बाद अब सुभागी को माता के बीमार होने का गम सता रहा था. लेकिन वह टूटी नहीं, बल्कि और भी ज़्यादा सशक्त होकर अपना जीवन जीने लगी।5 . संघर्ष का अंत आखिकार सुभागी सज्जन काका का कर्ज़ चुकाने में सफ़ल हुई. उसके संघर्षों का अंत हुआ और उसने
Duração: aproximadamente 1 hora (01:00:13) Data de publicação: 11/04/2023; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —

