Begleiten Sie uns auf eine literarische Weltreise!
Buch zum Bücherregal hinzufügen
Grey
Einen neuen Kommentar schreiben Default profile 50px
Grey
Jetzt das ganze Buch im Abo oder die ersten Seiten gratis lesen!
All characters reduced
Bade Ghar Ki Beti Aur Beti Ka Dhan - cover

Bade Ghar Ki Beti Aur Beti Ka Dhan

Prem Premchand

Verlag: Sai ePublications

  • 0
  • 1
  • 0

Beschreibung

बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य संपन्न थे। गाँव का पक्का तालाब और मंदिर जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं की कीर्ति-स्तंभ थे। कहते हैं, इस दरवाजे पर हाथी झूमता था, अब उसकी जगह एक बूढ़ी भैंस थी, जिसके शरीर में अस्थि-पंजर के सिवा और कुछ शेष न रहा था; पर दूध शायद बहुत देती थी; क्योंकि एक न एक आदमी हाँड़ी लिये उसके सिर पर सवार ही रहता था।
Verfügbar seit: 04.08.2017.

Weitere Bücher, die Sie mögen werden

  • Swaraj ke liye - cover

    Swaraj ke liye

    Sadat Hasan Manto

    • 0
    • 0
    • 0
    मंटो एक सोच है, अफ़साना है, कल्ट है, दीवानगी है, दर्द है. मंटो पर मुकदमा चला, उनकी कहानियों को अश्लील कहा गया लेकिन उन्होंने अपनी कला की सच्चाई के हक़ में लड़ना चुना. वह भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे के सबसे मार्मिक कथाकार है. उनकी कहानियाँ इंसानियत के पतन और समाज की गंदगी का एक बेलौस और विचलित करने वाला दस्तावेज़ हैं. यहाँ प्रस्तुत है उनकी बेमिसाल कहानी - स्वराज के लिए.
    Zum Buch
  • Mummy - cover

    Mummy

    Sadat Hasan Manto

    • 0
    • 0
    • 0
    मंटो एक सोच है, अफ़साना है, कल्ट है, दीवानगी है, दर्द है. मंटो पर मुकदमा चला, उनकी कहानियों को अश्लील कहा गया लेकिन उन्होंने अपनी कला की सच्चाई के हक़ में लड़ना चुना. वह भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे के सबसे मार्मिक कथाकार है. उनकी कहानियाँ इंसानियत के पतन और समाज की गंदगी का एक बेलौस और विचलित करने वाला दस्तावेज़ हैं. यहाँ प्रस्तुत है उनकी बेमिसाल कहानी - मम्मी.
    Zum Buch
  • मनमोहक जंगल - भाईचारा - cover

    मनमोहक जंगल - भाईचारा

    LS Morgan

    • 0
    • 0
    • 0
    दोस्ती और भाईचारे के बारे में बच्चों और युवाओं के लिए लघु कहानी। दो भाई अपनी बड़ी मौसी के खेत में जाते हैं और ये बच्चे जो अनुभव करेंगे वह एक मुग्ध जंगल में होने, रोमांच, जादू, अच्छी हंसी और मस्ती के दिन में जीने का अनुभव होगा। वर्गीकरण: सभी उम्र के लिए पढ़नेयोग्य
    Zum Buch
  • Bento Wali Vidhwa - बेटोंवाली विधवा मानसरोवर लघु कथा - मानसरोवर कथा संग्रह – भाग १ - मुंशी प्रेमचंद - cover

    Bento Wali Vidhwa - बेटोंवाली...

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    बेटोंवाली विधवामानसरोवर कथा संग्रह – भाग १ 
    मुंशी प्रेमचंद 
    1 
    पंडित अयोध्यानाथ का देहांत हुआ तो सबने कहा, ईश्वर आदमी की ऐसी ही मौत दे। चार जवान बेटे थे, एक लड़की। चारों लड़कों के विवाह हो चुके थे, केवल लड़की क्‍वाँरी थी। संपत्ति भी काफी छोड़ी थी। एक पक्का मकान, दो बगीचे, कई हजार के गहने और बीस हजार नकद। विधवा फूलमती को शोक तो हुआ और कई दिन तक बेहाल पड़ी रही, लेकिन जवान बेटों को सामने देखकर उसे ढाढ़स हुआ। चारों लड़के एक-से-एक सुशील,चारों बहुएँ एक-से-एक बढ़कर आज्ञाकारिणी। जब वह रात को लेटती, तो चारों बारी-बारी से उसके पाँव दबातीं; वह स्नान करके उठती, तो उसकी साड़ी छाँटतीं। सारा घर उसके इशारे पर चलता था। बड़ा लड़का कामता एक दफ्तर में 50 रू. पर नौकर था, छोटा उमानाथ डाक्टरी पास कर चुका था और कहीं औषधालय खोलने की फिक्र में था, तीसरा दयानाथ बी. ए. में फेल हो गया था और पत्रिकाओं में लेख लिखकर कुछ-न-कुछ कमा लेता था,चौथा सीतानाथ चारों में सबसे कुशाग्र बुद्धि और होनहार था और अबकी साल बी. ए. प्रथम श्रेणी में पास करके एम. ए. की तैयारी में लगा हुआ था। किसी लड़के में वह दुर्व्यसन, वह छैलापन, वह लुटाऊपन न था, जो माता-पिता को जलाता और कुल-मर्यादा को डुबाता है। फूलमती घर की मालकिन थी। गोकि कुंजियाँ बड़ी बहू के पास रहती थीं – बुढ़िया में वह अधिकार-प्रेम न था, जो वृद्धजनों को कटु और कलहशील बना दिया करता है; किन्तु उसकी इच्छा के बिना कोई बालक मिठाई तक न मँगा सकता था। 
    संध्या हो गयी थी। पंडित को मरे आज बारहवाँ दिन था। कल तेरही है। ब्रह्मभोज होगा। बिरादरी के लोग निमंत्रित होंगे। उसी की तैयारियाँ हो रही थीं। फूलमती अपनी कोठरी में बैठी देख रही थी, पल्लेदार बोरे में आटा लाकर रख रहे हैं।
    Zum Buch
  • Poos Ki Raat - पूस की रात मानसरोवर लघु कथा - मानसरोवर कथा संग्रह – भाग १ - मुंशी प्रेमचंद - cover

    Poos Ki Raat - पूस की रात...

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    पूस की रातमानसरोवर कथा संग्रह – भाग १ 
    मुंशी प्रेमचंद 
    हल्कू ने आकर स्त्री से कहा- सहना आया है, लाओ, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे । 
    मुन्नी झाड़ू लगा रही थी। पीछे फिरकर बोली- तीन ही तो रुपये हैं, दे दोगे तो कम्मल कहाँ से आवेगा ? माघ-पूस की रात हार में कैसे कटेगी ? उससे कह दो, फसल पर दे देंगे। अभी नहीं । 
    हल्कू एक क्षण अनिश्चित दशा में खड़ा रहा । पूस सिर पर आ गया, कम्मल के बिना हार में रात को वह किसी तरह नहीं जा सकता। मगर सहना मानेगा नहीं, घुड़कियाँ जमावेगा, गालियाँ देगा। बला से जाड़ों में मरेंगे, बला तो सिर से टल जाएगी । यह सोचता हुआ वह अपना भारी- भरकम डील लिए हुए (जो उसके नाम को झूठ सिद्ध करता था ) स्त्री के समीप आ गया और खुशामद करके बोला- ला दे दे, गला तो छूटे। कम्मल के लिए कोई दूसरा उपाय सोचूँगा। 
    मुन्नी उसके पास से दूर हट गयी और आँखें तरेरती हुई बोली- कर चुके दूसरा उपाय ! जरा सुनूँ तो कौन-सा उपाय करोगे ? कोई खैरात दे देगा कम्मल ? न जाने कितनी बाकी है, जों किसी तरह चुकने ही नहीं आती । मैं कहती हूँ, तुम क्यों नहीं खेती छोड़ देते ? मर-मर काम करो, उपज हो तो बाकी दे दो, चलो छुट्टी हुई । बाकी चुकाने के लिए ही तो हमारा जनम हुआ है । पेट के लिए मजूरी करो । ऐसी खेती से बाज आये । मैं रुपये न दूँगी, न दूँगी । 
    हल्कू उदास होकर बोला- तो क्या गाली खाऊँ ? 
    मुन्नी ने तड़पकर कहा- गाली क्यों देगा, क्या उसका राज है ? 
    मगर यह कहने के साथ ही उसकी तनी हुई भौहें ढीली पड़ गयीं । हल्कू के उस वाक्य में जो कठोर सत्य था, वह मानो एक भीषण जंतु की भाँति उसे घूर रहा था । 
    उसने जाकर आले पर से रुपये निकाले और लाकर हल्कू के हाथ पर रख दिये। फिर बोली- तुम
    Zum Buch
  • Jankipul - cover

    Jankipul

    Prabhat Ranjan

    • 0
    • 0
    • 0
    कथाकार प्रभात रंजन का यह पहला कहानी-संग्रह है| इन कहानियों में आज की वास्तविकता के प्रति एक वयस्क व्यंग्यबोध है। इन कहानियों के केंद्र में आज का युवा समुदाय है जो अक्सर छोटे कस्बों से महानगरों की ओर उच्चशिक्षा या रोजगार की तलाश में आया है। (C) 2018 Vani Prakashan
    Zum Buch