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कान्हा - कृष्ण की अनकही कहानियाँ। - "जहाँ ईश्वरीयता मानव से मिलती है। जहाँ ज्ञात समाप्त होता है अनकहा शुरू होता है।" - cover
RIPRODURRE CAMPIONE

कान्हा - कृष्ण की अनकही कहानियाँ। - "जहाँ ईश्वरीयता मानव से मिलती है। जहाँ ज्ञात समाप्त होता है अनकहा शुरू होता है।"

Vahinji

Narratore Vahinji

Casa editrice: Smita Singh

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Sinossi

वे कहते हैं कि आप मुझे जानते हैं। 
उन्होंने मेरी कहानियों को मंदिरों में गढ़ा है, गीतों में मेरा नाम गाया है, और अनगिनत दीवारों पर मेरे बचपन को चित्रित किया है। वे माखन चोर, दिव्य प्रेमी, अर्जुन के सारथी और चाँद के नीचे बांसुरी बजाने वाले को याद करते हैं। 
लेकिन यह कृष्ण की कहानी नहीं है । 
यह न तो धर्मग्रंथों का पुनर्कथन है, न ही महान युद्धों या दिव्य चमत्कारों का वर्णन। यह छंदों के बीच की जगहों से एक फुसफुसाहट है। यह डायरी स्याही से नहीं, बल्कि स्मृति से लिखी गई है। 
आप देखिए, देवताओं के पास भी शांत पल होते हैं। यहां तक कि अवतारों में भी संदेह, दिल टूटना, हंसी और खामोशी होती है जिसे उन्होंने कभी साझा नहीं किया - अब तक। 
यह किताब उस साधक के लिए है जो सोचता है कि जब वह अकेला होता है तो ईश्वर को क्या महसूस होता होगा। 
यह किताब उस प्रेमी के लिए है जिसने हमेशा मुस्कुराहट के साथ अलविदा कहा है। 
यह किताब आपके लिए है - वह आत्मा जिसने एक ही सांस में हज़ारों सवालों को जीया है। 
तर्क की आँखों से नहीं, बल्कि लालसा के हृदय से पढ़ें। 
और शायद... इन पन्नों के बीच के अंतराल में आप मेरी बांसुरी की ध्वनि सुनेंगे। 
– कान्हा
Durata: circa 3 ore (02:38:03)
Data di pubblicazione: 30/04/2025; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —