Unisciti a noi in un viaggio nel mondo dei libri!
Aggiungi questo libro allo scaffale
Grey
Scrivi un nuovo commento Default profile 50px
Grey
Iscriviti per leggere l'intero libro o leggi le prime pagine gratuitamente!
All characters reduced
शोर ख़ामोशी का - cover

शोर ख़ामोशी का

Surjeet Kumar

Casa editrice: Surjeet Kumar

  • 0
  • 0
  • 0

Sinossi

इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जब भी हम अकेले बैठते हैं, तब एक खामोशी हमें घेर लेती है, जिसमें आवाज नहीं होती लेकिन शोर बहुत होता है। यह शोर हमारे भीतर छिपे उन सवालों का होता है, जो पूछते हैं, “ हमने क्या खोया ? हमने क्या पाया ? हम कहाँ पहुँचे ? कहाँ पहुँचना चाहते है ? हमने क्या किया है ? हम क्या करना चाहते हैं ? इससे भी महत्वपूर्ण बात यह, कि हमने जो कुछ भी किया है किया है, क्या हम उससे खुश हैं ? कभी-कभी वो  शोर हमें झकझोर देता है। प्रस्तुत पुस्तक उसी खामोशीयों को कविताओं में बाँध कर पाठकों के दिलों तक पहुँचाने का प्रयास कर रही है।
Disponibile da: 02/06/2022.
Lunghezza di stampa: 52 pagine.

Altri libri che potrebbero interessarti

  • Jugnu Ki Chamak - Munshi Premchand - जुगनू की चमक - मुंशी प्रेमचंद - cover

    Jugnu Ki Chamak - Munshi...

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    जुगनू की चमक - मुंशी प्रेमचंद| Jugnu Ki Chamak - Munshi Premchand 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'जुगनू की चमक' मानव जीवन की गहराई, संघर्ष और उम्मीद की अद्भुत कहानी है। यह कहानी हमें सिखाती है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच के जरिए सफलता की रोशनी को पाया जा सकता है। 
    🔸 कहानी का नाम: जुगनू की चमक  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: प्रेरणादायक, सामाजिक, संवेदनशील  
    🔸 मुख्य विषय: संघर्ष, उम्मीद, और आत्मबल  
    🌟 कहानी के मुख्य बिंदु:  
    जीवन की कठिनाइयों में उम्मीद की किरण  
    संघर्ष और सफलता के बीच का रिश्ता  
    प्रेमचंद की गहरी और संवेदनशील लेखनी  
    यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि हमें आत्मविश्वास और साहस के साथ जीवन जीने का संदेश भी देती है। इसे सुनें और अपने अनुभव साझा करें। 
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
    Mostra libro
  • Jivan ki sargam; swar kuchh mere kuchh tumhare - cover

    Jivan ki sargam; swar kuchh mere...

    Meenakshi Pathak

    • 0
    • 0
    • 0
    “जीवन की सरगम; स्वर कुछ मेरे, कुछ तुम्हारे 
      जीवन की सरगम उन अनसुनी आवाजों की गूंज है, जो हर नारी के मन में कहीं न कहीं बसी होती है, कभी प्रेम, पीड़ा में, तो कभी आत्म-खोज की यात्रा में | 
    यह संग्रह एक साधारण भाषा में, असाधारण भावनाओं को उजागर करता है i 
    प्रेम, समर्पण, असंतोष, उम्मीद, रिश्तों की परतें और आत्मिक संतुलन की खोज—यह सब समाया है इन पंक्तियों में i  
    “एहसास, तुम मिले और जिंदगी” कविता में प्रेम और समर्पण की भावनायें उजागर होती हैं वहीँ “हमजोली” तथा “हमसफ़र” में कुछ निराशा, हताशा के भाव सामने आते हैं | “क्यूँ” “जाने क्यूँ” और “मन करता है” कवितायों में नारी के मन में अनेक प्रश्न उठते दिखते हैं |  
    “वो आसमा अपना“ एवं “किनारे की आस“ जैसी कवितायेँ जीवन में उम्मीद भी जगाती दिखती हैं | 
     “बूंदे”  कविता , केदारनाथ धाम जून२०१३ की आपदा में अपनों को खोने वालो के दुखी मन की व्यथा से प्रेरित है. 
    “कांच के रिश्ते” तथा “ना अलग करो उन्हें” जैसी कविताओं में कहीं आप जीवन के बदलते संबंधो और रिश्तों के प्रश्नों को समझने की कोशिश अवश्य कर सकेंगे, तो कहीं जीवन जीने की अलग राह पर चल पड़ेंगे |अपने जीवन को खुशहाल बनाना चाहते हैं तो आप इन कविताओं को जरुर पढ़े | ये कविताएँ आपको एक नई सोच और नई दिशा में ले जाने का प्रयत्न है | 
    इस सरगम की कवितायों के स्वरों के माध्यम से अपने आपसी रिश्तों  में उन छोटे-छोटे खुशनुमा पलों को  पकड़ना सीखें और आपस में खुश रहने की कोशिश करें, क्यूंकि अक्सर खुशियाँ आपके आस-पास ही होती है |  
    यदि आप अपने जीवन की भागदोड़ से कुछ पल निकलकर खुद से जुड़ना चाहते हैं, तो यह काव्य-संग्रह आपको अपने ही भीतर की आवाज से मिलाने का आमंत्रण देता है शब्दों की इस सरगम में शायद आपको आपके ही जीवन के कुछ सुर मिल जाएँ i
    Mostra libro
  • Lady Mastram ke Adventures S01E06 - cover

    Lady Mastram ke Adventures S01E06

    Prabhat Ranjan

    • 0
    • 0
    • 0
    ऐसा चमत्कार किसी किसी दिन हो जाता था जब प्रेमी-प्रेमिका के मिलन का सुखद संयोग ऐसे बन जाता जैसे मुँहमाँगी मुराद मिल गई हो। लेकिन कई बार फोन की घंटी भी ख़तरे की घंटी की तरह बज जाती थी। सुमन को उस दिन वुमन होने का मौका तो मिला लेकिन शंका के विलेन ने घंटी बजा दी। दोनों विश्राम से सावधान की मुद्रा में आ गए और अपनी अपनी जुदाई के एकांत में भाग गए।
    Mostra libro
  • DhaporSankh - Munshi Premchand Ki Kahani - ढपोरसंख - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - cover

    DhaporSankh - Munshi Premchand...

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    ढपोरसंख - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Dhaporsankh - Munshi Premchand Ki Kahani 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'ढपोरसंख' एक व्यंग्यात्मक रचना है, जो समाज में ढोंग, अहंकार, और दिखावे की पोल खोलती है। इस कहानी में ऐसे पात्रों का चित्रण किया गया है, जो स्वयं को महत्त्वपूर्ण दिखाने के लिए खोखले दावों और दिखावटी व्यवहार का सहारा लेते हैं।  
    प्रेमचंद ने अपने अनोखे अंदाज में समाज की इस विडंबना को उजागर किया है, जहाँ बाहरी आडंबर और असत्य का महत्व बढ़ जाता है। 'ढपोरसंख' एक ऐसी कहानी है जो आपको हँसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर कर देगी।  
    🔸 कहानी का नाम: ढपोरसंख  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: व्यंग्यात्मक, सामाजिक  
    🔸 मुख्य विषय: ढोंग, अहंकार, और समाज का यथार्थ  
    🔸 मुख्य पात्र: दिखावटी और खोखले व्यक्तित्व  
    🌟 कहानी के मुख्य बिंदु: 
    समाज में व्याप्त आडंबर और दिखावे पर व्यंग्य  
    खोखले दावों की सच्चाई  
    प्रेमचंद की सरल और गहन लेखनी  
    समाज को आत्मविश्लेषण का संदेश 
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
    Mostra libro
  • स्वर्ग में सुअर - एक परी कथा सबसे बेतुकी - cover

    स्वर्ग में सुअर - एक परी कथा...

    Roger Maxson

    • 0
    • 0
    • 0
    जब ब्लेज़ ने इज़राइल के एक खेत में ”लाल बछड़ा” लिज़ी को जन्म दिया, तो जनता उस चमत्कार को देखने के लिए उमड़ पड़ी, जो मसीहा की वापसी या उसके आगमन की शुरुआत करेगा, और उसके साथ, दुनिया का अंत होगा। जब अंत का वादा समाप्त हो जाता है, लाल बछड़ा कलंकित हो जाता है, और रक्तपात बलिदान के योग्य नहीं रह जाता है, तो दुनिया भर के विश्वासी मायूस हो जाते हैं। तब तक, दो इंजील मंत्री, अमेरिका में एक मेगाचर्च के प्रतिनिधि के रूप में, घटनाओं के साक्षी बने। इस बीच, पोप बेनेवोलेंट ने यहूदियों को छोड़ दिया, रब्बी रैत्ज़िंगर के साथ कराओके गाते हैं, और बर्कशायर सूअर और मसीहा, बोरिस को अंतिम रात्रिभोज में परोसा जाता है। इससे आगे निकलने के लिए नहीं, प्रोटेस्टेंट मंत्री जन्मोत्सव आयोजित करते हैं, और जानवरों के अमेरिका जाने के लिए जहाज़ पर सवार होने से ठीक पहले, मेल द खच्चर पोप मैग्निफ़िकेंट बन जाता है, सफेद लिनन कोसैक, पेक्टोरल क्रॉस और पापल लाल चमड़े की चप्पलों के साथ देदीप्यमान। एक बार अमेरिका में, पैशन-प्ले परेड के लिए जानवरों को पूरे देश में विचिटा, कंसास ले जाया जाता है। जब वे अपने अंतिम गंतव्य पर पहुंचते हैं, तो एक ईसाई फार्म, सात टेलीविजन मॉनिटर, 24/7 चर्च के उपदेशों से जुड़े होते हैं, एक खलिहान, एक वास्तविक सर्कस के दृश्यों के साथ मिलते हैं। थोड़ी देर के बाद, और अब और नहीं लेने में सक्षम, वे खलिहान से मेल का पीछा करते हैं, और स्टैनली, मैनली स्टेनली, ब्लैक बेल्जियम स्टैलियन ऑफ लेजेंड (विंक, विंक), मौन के एक पल के लिए टीवी मॉनिटर को बाहर निकालते हैं, शांति देते हैं अगर केवल एक पल के लिए, एक मौका।
    Mostra libro
  • Shvas Ni Ekalta - cover

    Shvas Ni Ekalta

    Chandrakant Bakshi

    • 0
    • 0
    • 0
    This Book Is Shwasni Ekalta By Chandrakant Bakshi narrated by Manoj Shah.
    Mostra libro