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कई Moडर्न कुछ हिंग्लिSh… दोहे - cover

कई Moडर्न कुछ हिंग्लिSh… दोहे

Surjeet Kumar

Publisher: Surjeet Kumar

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Summary

भाषा सहयोग के युग में, मैं कई दोहे में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करने का प्रयास कर रहा हूँ। जो बाँकी दोहो से इस पुस्तक में निहित दोहों को अलग बनाती है। इस पुस्तक में हास्य , सत्य, कटाक्ष, कटुता के साथ- साथ आधुनिक युग में बदलती हुई परिभाषायों को चिन्हित किया गया है जो आपको अंत तक बांधे रखेगा।
मुझे वर्ष 2008 की लोहड़ी के समारोह का वह क्षण याद है, जब मैंने पहली बार कहानी के रूप में दोहे का पाठ किया था। समारोह के मुख्य अतिथि पंडित जी, हमारे प्रधानाध्यापक महोदय, शिक्षकगण, मेरे मित्र और विद्यार्थियों ने खूब आनंद उठाया और इसकी खूब सराहना की थी। उस समय तक मैंने कभी सोचा भी नही था कि एक दिन मेरा शौख किसी किताब का रूप ले लेगा।
Available since: 06/02/2022.
Print length: 21 pages.

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    किसी को नहीं पता था कि वह औरत कहाँ से आई थी। 
    किसी ने कहा, “शायद अगले ज़िले की कोई भिखारिन थी।” 
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    यह कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हमारी नैतिकता और न्याय प्रणाली का असली अर्थ क्या है। मुंशी प्रेमचंद की यह अमूल्य रचना आपको मानवीय संवेदनाओं के करीब लाएगी। इसे सुनें और सोचें। 
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के एक महान लेखक थे। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन वे प्रेमचंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गांव में हुआ था। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं और संघर्षों को उजागर किया।  
    प्रेमचंद की प्रमुख कृतियों में 'गोदान', 'गबन', 'निर्मला', 'सेवासदन', 'रंगभूमि' और 'कफन' शामिल हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज के निम्न और मध्यम वर्ग की जिंदगी की सजीव तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। वे सामाजिक न्याय, नैतिकता और मानवीय मूल्यों के पक्षधर थे। प्रेमचंद का साहित्य सरल भाषा, मार्मिक शैली और यथार्थवादी दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और इसे जनसाधारण के करीब लाया। 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनका साहित्य आज भी प्रेरणादायक है और हिंदी साहित्य का अमूल्य हिस्सा है।
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