Unisciti a noi in un viaggio nel mondo dei libri!
Aggiungi questo libro allo scaffale
Grey
Scrivi un nuovo commento Default profile 50px
Grey
Iscriviti per leggere l'intero libro o leggi le prime pagine gratuitamente!
All characters reduced
मुझे सच बोलना पसंद है - cover

मुझे सच बोलना पसंद है

Shelley Admont, KidKiddos Books

Casa editrice: KidKiddos Books

  • 0
  • 0
  • 0

Sinossi

छोटा खरगोश जिम्मी मुसीबत में है। उसने गलती से अपनी माँ के पसंदीदा फूलों को खराब कर दिया। क्या झूठबोलने से उसे कुछ फायदा होगा? या यह बेहतर होगा कि वह सच बताए और समस्या को दूसरे तरीके से सुलझाने कीकोशिश करे?
बच्चों की इस मज़ेदार किताब के साथ अपने बच्चों को ज्यादा ईमानदार बनना सीखने में मदद करें।
Disponibile da: 20/01/2023.
Lunghezza di stampa: 34 pagine.

Altri libri che potrebbero interessarti

  • कागभुशुंडी: मृत्यु रहस्य और अमरत्व की गूढ़ कथा: भाग-2 - Mythology - cover

    कागभुशुंडी: मृत्यु रहस्य और...

    Dharmendra Mishra

    • 0
    • 0
    • 0
    "क्या कोई मृत्यु को परास्त कर सकता है? क्या ज्ञान और तपस्या से विधि के विधान बदले जा सकते हैं? यह कथा है उस ऋषि की, जिसे श्राप तो मिला, परंतु उसका अंत नहीं हुआ।" 
    "कागभुशुंडी – वह रहस्यमयी ऋषि, जिसने त्रेता युग में राम का दर्शन किया और कलियुग तक अमर रहकर सृष्टि का हर रहस्य जाना। वह एक साधारण ऋषि नहीं, बल्कि समय और मृत्यु को चुनौती देने वाला योद्धा था। 
    "भाग-1 में जानिए, कैसे एक जिज्ञासु ऋषि का जीवन अचानक बदल गया। कैसे उसके अंदर की शक्ति ने देवताओं और दैत्यों को भी हैरान कर दिया। क्या कागभुशुंडी सच में अमर थे? या यह केवल एक श्राप का प्रभाव था?" 
    "इस रहस्यमयी यात्रा में शामिल हों और जानें, क्या वास्तव में मृत्यु से परे कोई रहस्य है?"
    Mostra libro
  • Khwahis - cover

    Khwahis

    आयुषी खरे

    • 0
    • 0
    • 0
    दिल वालों के भारत के दिल में बसे इक शहर की ये कहानी, कहानी एक मुहब्बत की, कहानी दो दिलों की. दिल! दिल, इस ही से तो शुरू होता है, हर फ़साना; इस ही पर तो मुकम्मल होती है हर मुहब्बत. हर एहसास का ठिकाना, हर दिल्लगी की रहगुज़र, ये दिल. मिलिए राजीव और सरगम से, आपकी अपनी ज़िन्दगी से इत्तेफ़ाक रखती उनकी ज़िन्दगी से, कुछ हकीकतों से, बेहद और बेशर्त मुहब्बत से और इक ख़्वाहिश से, मुहब्बत की इस खूबसूरत दास्ताँ ख़्वाहिश में...
    Mostra libro
  • Mrigtrishna - cover

    Mrigtrishna

    सम्राट केतन शर्मा

    • 0
    • 0
    • 0
    मृगतृष्णा एक वैज्ञानिक प्रोफेसर हंस गंगवार की कहानी है। यह प्रोफेसर एड्स की रामबाण दवाई की खोज कर रहे हैं। उपन्यास के शुरू में ही प्रोफेसर की हत्या हो जाती है। इनकी हत्या की जांच मनोज मिंथ और राजीव राय करते हैं। यही तीनों प्रोफेसर हंस गंगवार , मनोज मिंथ और राजीव राय इस उपन्यास के मुख्य पात्र हैं। अन्य पात्रों में इंस्पेक्टर अजीत महानवे , इंस्पेक्टर अतुल सचान , मंत्री अमजद इस्लाम आदि मुख्य हैं। उपन्यास में जबरदस्त रहस्य और रोमांच है। पूरे उपन्यास में अगर एक बार पढ़ना शुरू करो तो फिर किताब अंत तक छोड़ी नही जाती। उपन्यास में लेखक ने विज्ञान गल्प का भी सहारा लिया है। मृगतृष्णा का सामाजिक संदेश उच्च कोटि का है। कथा के ऊपरी स्ट्रक्चर के साथ साथ मृगतृष्णा अपनी गहराई में बड़े सामाजिक सत्यों और राजनीतिक सत्यों को बाहर लेकर आती है।यह एक पढ़ने लायक प्यारा उपन्यास है।
    Mostra libro
  • Karwan E Hayat - cover

    Karwan E Hayat

    विजय कुमार "नाकाम"

    • 0
    • 0
    • 0
    विजय कुमार 'नाकाम का कविता संग्रह पढ़ते हुए यूं महसूस होता है। जैसे हम अपने ही जीवन के किसी हिस्से की कथा पढ़ रहे हैं । कविता में दर्द की प्रमुखता है और प्रभावित भी करता है पढ़ते हुए लगता है कवि की जिंदगी दर्द की गलियों से ज्यादा गुजरी है परिस्थिति वश दबा ढका दर्द उभर कर कविता में उतरा होगा। कहीं पर मुस्कराहट भी है, व्यंग भी है। सामाजिक विसंगति यों पर कटाक्ष भी है। कई कविता में कवि ने कई मशहूर हस्तियों, शायरों और बादशाहों को याद करते हुए उनके साथ हुए हादसों का वर्णन किया है। जिसे पढ़ते हुए विद्वान पाठक को वर्णित व्यक्ति की याद आ जाती है। 
    संग्रह में आध्यात्मिक रस से ओतप्रोत कविता 'उलझन' भी हैं शुरुआत में पता ही नहीं चलता, मगर अंत में लगता हैं कि कवि अपने प्रयास में सफल हुआ है। कई अत्यन्त गूढ़ शब्द प्रयोग किए गए हैं जो योग एवं अध्यात्म से जुड़े लोग ही समझ पाएंगे। 
    बुढ़ापे में अनगिनत समस्याओं का विशद और दर्दनाक वर्णन हुआ है। एक सामाजिक बुराई की ओर इंगित करते हुए युवा पीढ़ी को नसीहत देते हुए बड़ी नफासत से अपनी बात कही गई है। 
    डरे डरे से कदम कोरोना काल पर हर एक पहलू से अवलोकन करते हुए कवि बड़ी गहनता से हर समस्या, पीड़ा और यातना का सटीक वर्णन करता है। 
    किताब का दर्द में समसामयिक 
    मुक्त कविता का चलन हुआ है 
    विषय पर गहनता से अध्ययन कर के हर पहलू को बताया गया है जब से छंद तब से स्वयं प्रकाशन करने की प्रतियोगिता-सी चल पड़ी है। हर कोई लेखक बन गया है। लिखा खूब जा रहा है प्रकाशित भी हो रहा हैं। प्रकाशन एक सुव्यवस्थित व्यवसाय हो गया है लेखक भी यही व्यवस्था का भुक्तभोगी है। प्रकाशित पुस्तकों का अंजाम क्या होता है? या तो मुफ्त में वितरित होती है या उधई या कबाड़ी का पेट भरता है। 
    कई कविताएं लेखक ने अपने परिवार के सदस्यों के ऊपर लिखी है। जिसकी भाषा से यही पर लक्षित होता है कि उर्दू के साथ हिन्दी पर भी कवि का समान अधिकार है। 
    शेर और मुक्तक भी अच्छे लिखे गए हैं। उर्दू के साथ-साथ हिन्दी का भी व्यापक उपयोग हुआ हैं। हिंदी भाषियों के लिए कवि अगर कठिन उर्दू शब्दों का अर्थ भी रचना के अंत में दिया गया होता तो कविता संग्रह की उप 
    देयता और बढ़ जाती।
    Mostra libro
  • भारत 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि)' - cover

    भारत 1885 से 1950 (इतिहास पर एक...

    Saransh Kanaujia

    • 0
    • 0
    • 0
    "इतिहास के कुछ तथ्यों को खंगालना आज के समय में थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन क्या होगा अगर आप खुद को इतिहास का विद्यार्थी मानकर अध्ययन करें? क्या होगा अगर आपको ऐसे तथ्य और सच्चाइयाँ मिलें जो आपके अब तक के ज्ञान को चुनौती दें? 
    भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस का एक ऐसा चेहरा, जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा। महात्मा गांधी के बारे में जो कुछ भी आपने सुना है, क्या वह सच है? जब आप इतिहास की गहराई में उतरेंगे, तो आपको मिलेगा कुछ ऐसा जो आमतौर पर नहीं बताया जाता। 
    ऐसे ही विभिन्न रहस्यों से पर्दा उठाती पुस्तक है 'भारत 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि)', जहाँ आपको मिलेगा एक बिल्कुल नया दृष्टिकोण। 
    क्या आप जानते हैं कि भारतीय संविधान का निर्माण 1946 में ही शुरू हो चुका था? क्या आपको पता है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के बजाय,  उस वक्त ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष कौन थे? 
    इस पुस्तक में न केवल भारतीय राजनीति की अनसुनी कहानियाँ हैं, बल्कि भारतीय संविधान से जुड़ी वो जानकारियाँ भी हैं, जिनसे शायद आप आज तक अनजान होंगे। 
    इतिहास को फिर से जानने का समय आ चुका है। 
    'भारत 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि)' – यह किताब आपको उन अनजानी बातों से परिचित कराएगी जो इतिहास के एक और पक्ष को सामने लाएंगी। 
    क्या आप तैयार हैं, एक नई दृष्टि से भारत के इतिहास को समझने के लिए?"
    Mostra libro
  • kankalon ke beech - cover

    kankalon ke beech

    Ved Prakash Kamboj

    • 0
    • 0
    • 0
    पल्प फिक्शन के बादशाह वेद प्रकाश कांबोज का प्रसिद्ध उपन्यास कंकालों के बीच सुनिए बृजेश के साथ
    Mostra libro