Unisciti a noi in un viaggio nel mondo dei libri!
Aggiungi questo libro allo scaffale
Grey
Scrivi un nuovo commento Default profile 50px
Grey
Iscriviti per leggere l'intero libro o leggi le prime pagine gratuitamente!
All characters reduced
मेरी माँ कमाल की हैं - cover

मेरी माँ कमाल की हैं

Shelley Admont, KidKiddos Books

Casa editrice: KidKiddos Books

  • 0
  • 0
  • 0

Sinossi

दिल को छू लेने वाली इस शयनसमय की कहानी में एक छोटी लड़की बताती है कि उसकी माँ कमाल की क्यों हैं। हम उसको अपनी माँ के प्रति प्रेम भरी भावनाओं के साथ अपना दिन बिताते हुए देखते हैं। 
माँ हमेशा उसकी भावनाओं को समझती हैं और किसी भी समस्या को हल करने में मदद कर सकती हैं। माँ सबसे मुश्किल चोटी बना सकती हैं और फ्रैक्शन के बारे में समझा सकती हैं। माँ  सुबह उठने में उसकी मदद कर सकती हैं और जब वह दुखी होती है, उसे प्यार से आलिंगन कर सकती हैं।
सुंदर चित्रों और एक ऐसे संदेश के साथ, जो सबके मन को स्पर्श कर सकता है, यह पुस्तक बच्चों और उनकी माताओं के लिए उत्तम है। 
Disponibile da: 20/01/2023.
Lunghezza di stampa: 34 pagine.

Altri libri che potrebbero interessarti

  • हरिशंकर परसाई के 100 साल - cover

    हरिशंकर परसाई के 100 साल

    राजकुमार केसवानी

    • 0
    • 0
    • 0
    उमेश कुमार गुप्ता की निबंध संग्रह हरिशंकर परसाई के 100 साल सुनिए मृद्वीका के साथ
    Mostra libro
  • Safalta Chutkiyon ki Baat - cover

    Safalta Chutkiyon ki Baat

    Neeraj Kumar

    • 0
    • 0
    • 0
    सफलता की यह चिंगारी हम सभी के अंदर मौजूद है। मुझमें, आपमें, दुनिया के हर इंसान में सफलता कि यह चिंगारी मन के किसी एक कोने में मौजूद होती है। 
    इसी चिंगारी को आग बनाने के लिए आवश्यक तत्वों को जानिये नीरज कुमार की पुस्तक सफलता चुटकियों की बात में।
    Mostra libro
  • आखिर गलती किसकी - cover

    आखिर गलती किसकी

    प्रीति सिंह

    • 0
    • 0
    • 0
    आखिर गलती किसकी कहानी है एक ऐसे परिवार की जहां सीमा और उसका पति सौरभ रिश्तों को निभाने की पूरी ईमानदारी से कोशिश करते हैं। इसके उपरांत भी एक छोटी सी बात, पूरे परिवार को संकट में डाल देती है। अनजाने में हुई एक गलती का खामियाजा निशा को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। निशा ने मरने से पहले आखिर उस पत्र में ऐसा क्या लिखा था जिसे पढ़कर सौरभ ने खुद को उसकी मौत का जिम्मेदार मानते हुए ऐसा कदम उठा लिया जिससे सीमा और सौरभ के परिवार वालों के साथ-साथ वहां उपस्थित सभी लोग स्तब्ध रह जाते हैं। कैसे एक छोटी सी गलती के कारण हंसता खेलता परिवार पूरी तरह टूट कर बिखर जाता है। अब उस नन्हे से मासूम बच्चे का क्या होगा जिसे निशा जन्म देते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। सीमा के परिवार में घटी इस घटना के पीछे क्या कारण था? आखिर इसमें गलती किसकी थी ? कहीं ऐसी कोई घटना हमारे आसपास या खुद हमारे परिवार में तो नहीं घटने वाली है? क्योंकि यह सिर्फ कहानी नहीं आज की सच्चाई भी है इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए आई सुनते हैं बुक ऑडियो पर आखिर गलती किसकी ये कहानी संग्रह अमेजॉन एवं फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है।
    Mostra libro
  • कॉर्पोरेट ऑफिस का सच - cover

    कॉर्पोरेट ऑफिस का सच

    Sonika bhatia

    • 0
    • 0
    • 0
    "कॉर्पोरेट ऑफिस का सच" कैसे अपने सपनों को पूरा करने के लिए किन किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है
    Mostra libro
  • कागभुशुंडी: मृत्यु रहस्य और अमरत्व की गूढ़ कथा: भाग-2 - Mythology - cover

    कागभुशुंडी: मृत्यु रहस्य और...

    Dharmendra Mishra

    • 0
    • 0
    • 0
    "क्या कोई मृत्यु को परास्त कर सकता है? क्या ज्ञान और तपस्या से विधि के विधान बदले जा सकते हैं? यह कथा है उस ऋषि की, जिसे श्राप तो मिला, परंतु उसका अंत नहीं हुआ।" 
    "कागभुशुंडी – वह रहस्यमयी ऋषि, जिसने त्रेता युग में राम का दर्शन किया और कलियुग तक अमर रहकर सृष्टि का हर रहस्य जाना। वह एक साधारण ऋषि नहीं, बल्कि समय और मृत्यु को चुनौती देने वाला योद्धा था। 
    "भाग-1 में जानिए, कैसे एक जिज्ञासु ऋषि का जीवन अचानक बदल गया। कैसे उसके अंदर की शक्ति ने देवताओं और दैत्यों को भी हैरान कर दिया। क्या कागभुशुंडी सच में अमर थे? या यह केवल एक श्राप का प्रभाव था?" 
    "इस रहस्यमयी यात्रा में शामिल हों और जानें, क्या वास्तव में मृत्यु से परे कोई रहस्य है?"
    Mostra libro
  • Gumnaam Veshyavritti - cover

    Gumnaam Veshyavritti

    Sneha Singh

    • 0
    • 0
    • 0
    क्या हमने कभी सोचा है कि एक आम सी दिखने वाली लड़की इस दलदल में कैसे उतर जाती है? 
    क्या यह उसकी चाहत होती है — या हमारी व्यवस्था की नाकामी? 
    “।। गुमनाम ।।” एक विचारोत्तेजक लेख है जो भारतीय समाज के उस स्याह हिस्से को उजागर करता है, जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं — वेश्यावृत्ति। 
    इस रचना में लेखिका स्नेहा सिंह ने इतिहास, समाज और कानून — तीनों दृष्टिकोणों से वेश्यावृत्ति की जड़ों को तलाशा है। 
    मेसोपोटामिया की सभ्यता से लेकर भारत के सोनागाछी और कमाठीपुरा तक, यह लेख दिखाता है कि देह व्यापार केवल पेशा नहीं, बल्कि परिस्थितियों की उपज है। 
    लेख समाज से सवाल करता है — 
    “जब ताली एक हाथ से नहीं बजती, तो दोष सिर्फ़ औरत का क्यों?” 
    यह लेख केवल आँकड़े नहीं, बल्कि एक सोच है — 
    एक कोशिश यह समझने की कि मजबूरी और नैतिकता के बीच की रेखा कितनी पतली है। 
    “।। गुमनाम ।।” हर उस पाठक के लिए है जो समाज के आईने में झाँकने की हिम्मत रखता है। 
    यह सिर्फ़ वेश्यावृत्ति पर नहीं, बल्कि मानवता की परिभाषा पर लिखा गया एक गहरा चिंतन है।
    Mostra libro