Unisciti a noi in un viaggio nel mondo dei libri!
Aggiungi questo libro allo scaffale
Grey
Scrivi un nuovo commento Default profile 50px
Grey
Iscriviti per leggere l'intero libro o leggi le prime pagine gratuitamente!
All characters reduced
Aankh Ki Kirkiri - cover

Aankh Ki Kirkiri

Rabindranath Tagore

Casa editrice: Sai ePublications

  • 0
  • 0
  • 0

Sinossi

विनोद की माँ हरिमती महेंद्र की माँ राजलक्ष्मी के पास जा कर धरना देने लगी। दोनों एक ही गाँव की थीं, छुटपन में साथ खेली थीं।
 
राजलक्ष्मी महेंद्र के पीछे पड़ गईं - 'बेटा महेंद्र, इस गरीब की बिटिया का उद्धार करना पड़ेगा। सुना है, लड़की बड़ी सुंदर है, फिर पढ़ी-लिखी भी है। उसकी रुचियाँ भी तुम लोगों जैसी हैं।
 
महेंद्र बोला - 'आजकल के तो सभी लड़के मुझ जैसे ही होते हैं।'
 
राजलक्ष्मी- 'तुझसे शादी की बात करना ही मुश्किल है।'
 
महेंद्र - 'माँ, इसे छोड़ कर दुनिया में क्या और कोई बात नहीं है?'
 
महेंद्र के पिता उसके बचपन में ही चल बसे थे। माँ से महेंद्र का बर्ताव साधारण लोगों जैसा न था। उम्र लगभग बाईस की हुई, एम.ए. पास करके डॉक्टरी पढ़ना शुरू किया है, मगर माँ से उसकी रोज-रोज की जिद का अंत नहीं। कंगारू के बच्चे की तरह माता के गर्भ से बाहर आ कर भी उसके बाहरी थैली में टँगे रहने की उसे आदत हो गई है। माँ के बिना आहार-विहार, आराम-विराम कुछ भी नहीं हो पाता।
 
अबकी बार जब माँ विनोदिनी के लिए बुरी तरह उसके पीछे पड़ गई तो महेंद्र बोला, 'अच्छा, एक बार लड़की को देख लेने दो!'
 
लड़की देखने जाने का दिन आया तो कहा, 'देखने से क्या होगा? शादी तो मैं तुम्हारी खुशी के लिए कर रहा हूँ। फिर मेरे अच्छा-बुरा देखने का कोई अर्थ नहीं है।'
 
महेंद्र के कहने में पर्याप्त गुस्सा था, मगर माँ ने सोचा, 'शुभ-दृष्टि' के समय जब मेरी पसंद और उसकी पसंद एक हो जाएगी, तो उसका स्वर भी नर्म हो जाएगा।
Disponibile da: 18/05/2017.

Altri libri che potrebbero interessarti

  • Baba Batesarnath - cover

    Baba Batesarnath

    Nagarjun

    • 0
    • 0
    • 0
    बाबा बटेसरनाथ कोई मनुष्य नहीं, बल्कि एक बूढ़ा बरगद है जिसके प्रति गाँव के लोगों की भावना वैसी ही है जैसी अपने किसी बड़े-बूढ़े के प्रति होती है, और इसीलिए वे लोग उस पेड़ को साधारण 'बरगद' नाम से नहीं, बल्कि आदरसूचक 'बाबा बटेसरनाथ' कहकर पुकारते हैं। यही बाबा बटेसरनाथ अपनी कहानी सुनाते-सुनाते पूरे गाँव की कहानी सुना जाते हैं, जिसकी कई पीढ़ियों के इतिहास के वे साक्षी रहे हैं. हिंदी में जनता के कवि नागार्जुन का एक अनूठा उपन्यास.
    ©Rajkamal Prakashan
    Mostra libro
  • Pratinidhi Kahaniya - Mohan Rakesh - cover

    Pratinidhi Kahaniya - Mohan Rakesh

    Mohan Rakesh

    • 0
    • 0
    • 0
    प्रतिनिधि कहानियां – मोहन राकेश मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं ! इस संकलन में उनकी प्राय सभी प्रतिनिधि कहानियां संग्रहीत हैं, जिनमें आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर हुआ है ! राकेश मुख्यतः आधुनिक शहरी जीवन के कथाकार हैं, लेकिन उनकी संवेदना का दायरा मध्यवर्ग तक ही सिमित नहीं है ! निम्नवर्ग भी पूरी जीवन्तता के साथ उनकी कहानियों में मौजूद है ! इनके कथा-चरित्रों का अकेलापन सामाजिक संदर्भो की उपज है ! वे अपनी जीवनगत जददोजहद में स्वतंत्र होकर भी सुखी नहीं हो पते, लेकिन जीवन से पलायन उन्हें स्वीकार नहीं ! वे जीवन-संघर्ष की निरंतरता में विश्वास रखते हैं ! पत्रों की इस संघर्ष शीलता में ही लेखक की रचनात्मक संवेदना आश्चर्यजनक रूप से मुखर हो उठती है ! हम अनायास ही प्रसगानुकुल कथा-शिल्प का स्पर्श अनुभव करने लगते हैं, जो कि अपनी व्यंगात्मक सांकेतिकता और भावाकुल नाटकीयता से हमें प्रभावित करता है ! इसके साथ ही लेखक की भाषा भी जैसे बोलने लगती है और अपने कथा-परिवेश को उसकी समग्रता में धारण कर हमारे भीतर उतर जाती है !
    Mostra libro
  • Best Seller - cover

    Best Seller

    Abhilekh Dwivedi

    • 0
    • 0
    • 0
    जीतने की जद्दोजहद में लोग क्या और कितना हार जाते हैं ये सफर के आखरी पड़ाव में और मंज़िल पर पहुँचने से पहले पता चल जाता है। लेकिन कुछ लोग इसे नजरअंदाज करना ही नियति बना लेते हैं। उनके साथ फिर वही होता है जो सादिक के साथ हुआ। आईना से प्यार और फिर शादी लेकिन इंटरनेशनल लेवल का बेस्टसेलर बनने की उसकी ख्वाहिश अभी पूरी नहीं हो रही थी। हिंदी ऑथर के लिए आसान है? आईना के पापा, प्रभात शेखावत खुद इंटरनेशनल बेस्टसेलर हैं तो फिर रास्ता आसान हो, शायद! शैलेष और अंशुल केसरी, पब्लिशिंग इंडस्ट्री के दो ऐसे दिग्गज जो किसी ऑथर का साथ दें, तो सब मुमकिन है। फिर इनमें से कौन साथ देगा सादिक का? क्योंकि बेस्टसेलर बनना हर तरीके से फायदे का सौदा होता है! क्या ये कहानी वाकई सादिक की है या किसी ऐसे शख्स की है जिसने बेस्टसेलर बनने का सबसे अलग रास्ता चुना? पढ़िये और बताइए कि बेस्टसेलर कौन बना!
    Mostra libro
  • Dhikkar - cover

    Dhikkar

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    धिक्कार (Dhikkar by Premchand) मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी हैं।  
    मुंशी प्रेमचंद की लेखनी और स्वर दिया है निधि बिष्ट ने, सुनीए अवश्य देश प्रेम और परिवार के प्रति प्रेम के बीच में एक मां की हृदयस्पर्शी कहानी, धिक्कार
    Mostra libro
  • Bento Wali Vidhwa - बेटोंवाली विधवा मानसरोवर लघु कथा - मानसरोवर कथा संग्रह – भाग १ - मुंशी प्रेमचंद - cover

    Bento Wali Vidhwa - बेटोंवाली...

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    बेटोंवाली विधवामानसरोवर कथा संग्रह – भाग १ 
    मुंशी प्रेमचंद 
    1 
    पंडित अयोध्यानाथ का देहांत हुआ तो सबने कहा, ईश्वर आदमी की ऐसी ही मौत दे। चार जवान बेटे थे, एक लड़की। चारों लड़कों के विवाह हो चुके थे, केवल लड़की क्‍वाँरी थी। संपत्ति भी काफी छोड़ी थी। एक पक्का मकान, दो बगीचे, कई हजार के गहने और बीस हजार नकद। विधवा फूलमती को शोक तो हुआ और कई दिन तक बेहाल पड़ी रही, लेकिन जवान बेटों को सामने देखकर उसे ढाढ़स हुआ। चारों लड़के एक-से-एक सुशील,चारों बहुएँ एक-से-एक बढ़कर आज्ञाकारिणी। जब वह रात को लेटती, तो चारों बारी-बारी से उसके पाँव दबातीं; वह स्नान करके उठती, तो उसकी साड़ी छाँटतीं। सारा घर उसके इशारे पर चलता था। बड़ा लड़का कामता एक दफ्तर में 50 रू. पर नौकर था, छोटा उमानाथ डाक्टरी पास कर चुका था और कहीं औषधालय खोलने की फिक्र में था, तीसरा दयानाथ बी. ए. में फेल हो गया था और पत्रिकाओं में लेख लिखकर कुछ-न-कुछ कमा लेता था,चौथा सीतानाथ चारों में सबसे कुशाग्र बुद्धि और होनहार था और अबकी साल बी. ए. प्रथम श्रेणी में पास करके एम. ए. की तैयारी में लगा हुआ था। किसी लड़के में वह दुर्व्यसन, वह छैलापन, वह लुटाऊपन न था, जो माता-पिता को जलाता और कुल-मर्यादा को डुबाता है। फूलमती घर की मालकिन थी। गोकि कुंजियाँ बड़ी बहू के पास रहती थीं – बुढ़िया में वह अधिकार-प्रेम न था, जो वृद्धजनों को कटु और कलहशील बना दिया करता है; किन्तु उसकी इच्छा के बिना कोई बालक मिठाई तक न मँगा सकता था। 
    संध्या हो गयी थी। पंडित को मरे आज बारहवाँ दिन था। कल तेरही है। ब्रह्मभोज होगा। बिरादरी के लोग निमंत्रित होंगे। उसी की तैयारियाँ हो रही थीं। फूलमती अपनी कोठरी में बैठी देख रही थी, पल्लेदार बोरे में आटा लाकर रख रहे हैं।
    Mostra libro
  • Thakur Ka Kuan - Munshi Premchand - ठाकुर का कुआं - मुंशी प्रेमचंद - cover

    Thakur Ka Kuan - Munshi...

    Munshi Premchand

    • 0
    • 0
    • 0
    ठाकुर का कुआं 
    ठाकुर का कुआं: ग्रामीण परिवेश को लेकर उफंची तथा नीची जाति संस्कृति को उकेरती यह कहानी आम आदमी की दिल की गहराई तक उतर जाती है। कहानी की नायिका गंगी गांव के ठाकुरों के डर से अपने बीमार पति को स्वच्छ पानी तक नहीं पिला पाती है। इस विवशता को पाठक अपने अंतर तक महसूस करता है, यही लेखक की महानता का परिचायक है। कितने दुर्भाग्य की बात है कि यह कुप्रथा आज भी स्वतंत्रा भारत के हजारों गांवों में बदस्तूर जारी है। इसके अलावा हम इस पुस्तक में मुंशी प्रेमचंद की अन्य कहानियों को भी शामिल कर रहे हैं जो न केवल सरल भाषा में लिखी गयी हैं बल्कि पढ़ने वालों को नई प्रेरणा और सीख भी देती हैं। दुनिया में प्रथम पंक्ति के सुविख्यात लेखक प्रेमचंद की कहानियों का यह भाग उनकी मूल रचना है। इसमें किसी तरह की कांट-छांट नहीं की गयी है। हिन्दी साहित्य के यशस्वी लेखक मुंशी प्रेमचन्द की रचनाओं ने कोटि-कोटि हिन्दी पाठकों के हृदय को तो छुआ ही है, साथ-ही-साथ अन्य भाषाभाषियों को भी प्रभावित किया है। उनकी रचनाएं साहित्य की सबलतम निध् िहैं। उनकी कहानियों को मानसरोवर के आठ खंडों में समाहित किया गया है, जिसे डायमंड पाकेट बुक्स ने आकर्षक आवरण में चार भागों में प्रकाशित किया है। इस खंड में हम उनकी यादगार कहानी ठाकुर का कुआं को प्रस्तुत कर रहे हैं।कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद 
    कलम के जादूगर प्रेमचंद की कहानियाँ आज भी बड़े ही ध्यान और सम्मान के साथ सुनी जाती हैं। आज हम लेकर आए हैं प्रेमचंद की वो कहानियाँ जो उनके कथा संकलन ‘मान सरोवर’ से ली गई हैं। प्रेमचंद की कहानियाँ अपने समय की हस्ताक्षर हैं जिनमें आप तब के परिवेश और समाज को भी बखूबी समझ सकते हैं। यूं तो मुंशी जी ने अपनी कहानियाँ हिंदी में ही लिखी हैं फिर भी हमारा ये प्रयास है
    Mostra libro