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Pita Ki Sahayta - Malgudi Days by R K Narayan - पिता की सहायता - मालगुडी डेज़ आर के नारायण - cover
RIPRODURRE CAMPIONE

Pita Ki Sahayta - Malgudi Days by R K Narayan - पिता की सहायता - मालगुडी डेज़ आर के नारायण

R. R.K.Narayan

Narratore R. R.K.Narayan

Casa editrice: LOTUS PUBLICATION

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Sinossi

Pita Ki Sahayta - Malgudi Days by R. K. Narayan – पिता की सहायता - मालगुडी डेज़ आर. के. नारायण“Pita Ki Sahayta” is a humorous and emotional story from R. K. Narayan’s Malgudi Days, centred on a mischievous schoolboy named Swami. In an attempt to skip school, he lies to his strict father, triggering a series of unintended consequences involving his innocent teacher, Samuel. This Hindi audiobook explores childhood, parenting, and honesty in a light-hearted yet meaningful narrative. 
"स्वामी सोमवार को देर तक सोता है और अपनी मां को उसे स्कूल ना भेजकर घर में ही रहने देने की विनंती करता है। लेकिन, उसके पिता इस बात से इंकार करते हैं और सरदर्द में भी उसे स्कूल जाने के लिए ज़ोर देते हैं। इसलिए, स्वामी झूठ बोलता है कि सैमियूल नामक उसके एक शिक्षक बच्चों पर हाथ उठाते हैं। स्वामी के पिता उसके हाथों हेडमास्टर के लिए संदेश भिजवाते हैं। पत्र में कुछ ऐसा लिखा हो सकता था जिससे सैमियूल की नौकरी चली जाए या उसे सज़ा हो जाए। जब वह हेडमास्टर को संदेश देने की कोशिश करता है, तो पता चलता है कि वे पूरा हफ्ता छुट्टी पर हैं। उनके स्थान पर असिस्टेंट हेडमास्टर संदेश स्वीकार कर सकते हैं, लेकिन वह तो सैमियूल है। पिता को स्वामी की हेडमास्टर वाली बात झूठ लगती है और वे उससे कहते हैं कि वह सैमियूल जैसे शिक्षक के ही लायक है।" 
लेखक आर. के. नारायण 
“मालगुडी डेज” भारत के प्रख्यात लेखक आर.के.नारायण द्वारा रचित एक काल्पनिक शहर की कहानी है और इसी तर्ज पर कन्नड़ अभिनेता और निर्देशक शंकर नाग ने इस पर 1986 में एक टीवी सीरियल का निर्देशन भी किया, जिसे 'मालगुडी डेज़' कहते हैं। मालगुडी, दक्षिण भारत के मद्रास से कुछ घंटों की दूरी पर स्थित एक काल्पनिक गाँव है जो की आर.के.नारायण की ही कल्पना थी। यह शहर मेम्पी जंगल के पास सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। इस जगह की वास्तविकता के बारे में खुद आर.के.नारायण भी अनजान थे। कई लोग इसे कोइम्बतुर में मानते हैं क्योंकि वहां पर भी ऐसी ही इमारतें और घर थे।
Durata: 15 minuti (00:14:32)
Data di pubblicazione: 19/04/2025; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —