Unisciti a noi in un viaggio nel mondo dei libri!
Aggiungi questo libro allo scaffale
Grey
Scrivi un nuovo commento Default profile 50px
Grey
Ascolta online i primi capitoli di questo audiolibro!
All characters reduced
Lauli Road - Malgudi Days by R K Narayan - लॉली रोड - मालगुडी डेज़ आर के नारायण - cover
RIPRODURRE CAMPIONE

Lauli Road - Malgudi Days by R K Narayan - लॉली रोड - मालगुडी डेज़ आर के नारायण

R. R.K.Narayan

Narratore R. R.K.Narayan

Casa editrice: LOTUS PUBLICATION

  • 0
  • 0
  • 0

Sinossi

Lauli Road - Malgudi Days by R. K. Narayan – लॉली रोड - मालगुडी डेज़ आर. के. नारायण  
“Lauli Road” is a humorous and satirical Hindi audiobook from R. K. Narayan’s Malgudi Days, featuring a talkative freelance journalist who ends up with a British statue stuck in his doorway. Set in post-independence India, the story explores themes of patriotism, absurdity, and unintended consequences through sharp wit and brilliant storytelling. 
"एक बातूनी आदमी अपने दोस्तों को बताता है कि केवल एक फ्रीलांस पत्रकार होते हुए भी उसने मालगुडी में न्यू एक्सटेंशन में एक घर में कैसे लिया था। यह कहानी भारत को स्वतंत्रता मिलने के ठीक बाद की है। एक कंबल बेचने वाला, जो आज़ादी से पहले अंग्रेजों को कंबल बेचा करता था, वह आज चुनाव जीतकर नगर पालिका का अध्यक्ष बन गया है। चुनाव जीतने के बाद, वह अध्यक्ष ऐसी चीज़ें करना चाहता है जिससे उसका पश्चाताप पूरा हो। उसकी यह इच्छा बहुत सी रोकांचक घटनाओं को जन्म देती है। साथ ही, वह 'सर फ्रेडरिक' नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की प्रतिमा मालगुड़ी से हटाने के लिए भी कुछ करना चाहता है। धीरे-धीरे, जब, प्रतिमा को गिराने के सारे उपाय असफल होने लगते हैं, वह बातूनी आदमी सुझाव देता है कि अगर मुफ्त में दे दी जाए, तो वह उस प्रतीमा को अपने साथ ले जाएगा।" 
लेखक आर. के. नारायण 
“मालगुडी डेज” भारत के प्रख्यात लेखक आर.के.नारायण द्वारा रचित एक काल्पनिक शहर की कहानी है और इसी तर्ज पर कन्नड़ अभिनेता और निर्देशक शंकर नाग ने इस पर 1986 में एक टीवी सीरियल का निर्देशन भी किया, जिसे 'मालगुडी डेज़' कहते हैं। मालगुडी, दक्षिण भारत के मद्रास से कुछ घंटों की दूरी पर स्थित एक काल्पनिक गाँव है जो की आर.के.नारायण की ही कल्पना थी। यह शहर मेम्पी जंगल के पास सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। इस जगह की वास्तविकता के बारे में खुद आर.के.नारायण भी अनजान थे। कई लोग इसे कोइम्बतुर में मानते हैं क्योंकि वहां पर भी ऐसी ही इमारतें और घर थे।
Durata: 15 minuti (00:15:17)
Data di pubblicazione: 19/04/2025; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —