Unisciti a noi in un viaggio nel mondo dei libri!
Aggiungi questo libro allo scaffale
Grey
Scrivi un nuovo commento Default profile 50px
Grey
Ascolta online i primi capitoli di questo audiolibro!
All characters reduced
Kitni Purnta - Malgudi Days by R K Narayan - कितनी पूर्णता - मालगुडी डेज़ आर के नारायण - cover
RIPRODURRE CAMPIONE

Kitni Purnta - Malgudi Days by R K Narayan - कितनी पूर्णता - मालगुडी डेज़ आर के नारायण

R. R.K.Narayan

Narratore R. R.K.Narayan

Casa editrice: LOTUS PUBLICATION

  • 0
  • 0
  • 0

Sinossi

Kitni Purnta - Malgudi Days by R. K. Narayan - कितनी पूर्णता - मालगुडी डेज़ आर. के. नारायण 
"यह कहानी एक ऐसे मूर्तिकार की है जो पाँच साल की महनत के बाद एक मूर्ति को पूरा कर पाता है। यह भगवान नटराज की मूर्ति है, जिन्हे हर कोई एक परिपूर्ण देवता मानता है। इसलिए उनकी मूर्ति भी ऐसी होनी चाहिए, जिसे देखते ही लोग उनकी आभा को महसूस कर सके। पुजारी मूर्तिकार से मूर्ति के एक अंगूठे को तोड़ने के लिए कहते हैं ताकि वह देखने पर सुरक्षित रहे, लेकिन मूर्तिकार ऐसा नहीं करता। बदले में पुजारी मंदिर में पूजा करने से मना कर देते हैं। मूर्तिकार अपने घर को ही एक मंदिर में बदल देता है ताकि वह वहां पर पूजा कर सके। यह देखकर भगवान खुद हर तरह की प्राकृतिक आपदा उत्पन्न कर इस क्षेत्र का नाश करते हैं। ऐसा होने पर क्षेत्र के कई निवासी मूर्तिकार से विनती करते हैं की वह सब की भलाई के लिए मूर्ति की पूर्णता को कुर्बान करे, पर वह ऐसा नहीं करता। वह खुद को भगवान् को समर्पित करने के लिए झील में डूबने के लिए निकलता ही है कि उसके घर पर एक पेड़ गिर जाता है। वह वापस आकर देखता है, तो मूर्ति के एक अंगूठे के अलावा और कुछ भी टूटता नहीं है। अब जाकर इस मूर्ति की स्थापना मंदिर में होती है और मूर्तिकार अपना व्यापार बंद कर देता है।“ लेखक आर. के. नारायण 
“मालगुडी डेज” भारत के प्रख्यात लेखक आर.के.नारायण द्वारा रचित एक काल्पनिक शहर की कहानी है और इसी तर्ज पर कन्नड़ अभिनेता और निर्देशक शंकर नाग ने इस पर 1986 में एक टीवी सीरियल का निर्देशन भी किया, जिसे 'मालगुडी डेज़' कहते हैं। मालगुडी, दक्षिण भारत के मद्रास से कुछ घंटों की दूरी पर स्थित एक काल्पनिक गाँव है जो की आर.के.नारायण की ही कल्पना थी। यह शहर मेम्पी जंगल के पास सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। इस जगह की वास्तविकता के बारे में खुद आर.के.नारायण भी अनजान थे। कई लोग इसे कोइम्बतुर में मानते हैं क्योंकि वहां पर भी ऐसी ही इमारतें और घर थे।
Durata: 12 minuti (00:12:07)
Data di pubblicazione: 18/04/2025; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —