Kabhi Apne Liye
पूनम अहमद
Narratore सरिता भारद्वाज
Casa editrice: BuCAudio pedia Pvt Ltd
Sinossi
मुझे बचपन से आज तक एक ही शौक रहा है पढ़ना और बस पढ़ना, पढ़ते-पढ़ते ही कब लिखने भी लगी, पता ही नहीं चला। लिखने का सिलसिला शुरू होते ही आसपास के पात्र ही मेरे इर्द-गिर्द मंडराने लगे। कोई भी घटना,पात्र या विचार आते ही डायरी के पन्ने के साथ साथ मन के पन्नों पर भी लिखा जाता गया। मन के भाव धीरे धीरे अक्षरों के आकार लेने लगे, ऑब्जरवेशन से ही कहानियाँ बनने लगीं। दस तरह के लोगों से जो दस बातें सुनती हूँ, वही एक काल्पनिक पात्र के मुँह से उगलवा लेती हूँ। यह किताब छोटी कहानियों का एक छोटा सा संसार है, जहाँ हर सभी को अपने जीवन का एक अंश साँस लेता मिल जायेगमैं बहुत आम सी गृहिणी हूँ, मेरे पास राजनीतिक, सामाजिक,धार्मिक या कोई आर्थिक प्रभामंडल नहीं है, बस, थोड़े से शब्द हैं, शब्द ही मेरा साहस, मेरी ख़ुशी, मेरे सपने, सामर्थ्य हैं, यही शब्द शब्द जुड़कर मेरी कहानी बन जाते है। लेखन के माध्यम से लोगों के दिलों को छूना मुझे भाता है, लिखने में मुझे एक अलग ही आनंद आता है। कुछ पत्रिकाओं से बेस्ट स्टोरी का पुरस्कार भी मिला, अब तक करीब चार सौ कहानियां, कई लेख लिख चुकी हूँभाषा के मामले में मेरी सोच शुरू से ही एक जैसी है, भाषा ऐसी हो जो पाठक को सीधे कहानी के साथ जोड़ दे, बीच में रुकावट न बन खड़ी हो। सरल भाषा लिखना मुश्किल काम होता है इसी दिशा में मैंने हमेशा कोशिश की है। मेरी कहानियों के पात्र मेरे साथ बैठे होते हैं,मैं उन्हें लिखते हुए महसूस करती हूँ, उनकी कहानियां लिखते-लिखते कभी हँस देती हूँ, कभी रो भी पड़ती हूँ। इसी संकलन की कहानी, कब जाओगे प्रिय, लिखते-लिखते बहुत हँसी भी हूँ क्योकि मेरे पति भी टूर पर जाते रहते हैंमिनी की नई ईयर पार्टी में खुद को ‘बडी’ बनाकर लिखने में मुझे बहुत आनंद आया, बीच की दीवार में कितनी ही बार आँखें पोंछीं, कहानी 'आज की लड़की ' की खुशबू कोई काल्पनिक पात्र नहीं है। यह बहुत करीबी लड़की खुशबू जिसकी कहानी से मैं इतना प्रभावित हुई कि मैंने खुशबू का नाम भी नहीं बदला, इसकी कहानी ज्यूँ की त्यूँ पन्नों पर उतारती चली गयी। मेरी कहानियाँ पाठकों के मन को छू जाएँ तो मैं अपनी लेखनी को सार्थक समझूँगी।।
Durata: circa 6 ore (06:26:07) Data di pubblicazione: 18/11/2024; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —

