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दीक्षा - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - Deeksha - Munshi Premchand Ki Kahani - cover
RIPRODURRE CAMPIONE

दीक्षा - मुंशी प्रेमचंद की कहानी - Deeksha - Munshi Premchand Ki Kahani

Munshi Premchand

Narratore Munshi Premchand

Casa editrice: LOTUS PUBLICATION

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Sinossi

दीक्षा - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Deeksha - Munshi Premchand Ki Kahani 
मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'दीक्षा' जीवन के आदर्शों और नैतिक मूल्यों का एक मार्मिक चित्रण है। यह कहानी उस आंतरिक संघर्ष और शिक्षा को उजागर करती है, जो किसी व्यक्ति को एक सच्चे और ऊँचे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। 'दीक्षा' के माध्यम से प्रेमचंद ने यह दर्शाया है कि जीवन में सच्ची सफलता और सम्मान केवल बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि आंतरिक सुधार और दृढ़ संकल्प से प्राप्त होती है। यह कहानी न केवल प्रेरित करती है, बल्कि पाठकों को जीवन के गहरे अर्थों से परिचित कराती है।  
🔸 कहानी का नाम: दीक्षा  
🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
🔸 शैली: प्रेरणादायक, नैतिक  
🔸 मुख्य विषय: नैतिकता, आत्मसंस्कार, और जीवन के आदर्श  
🔸 मुख्य पात्र: एक साधक और उसकी जीवन यात्रा  
🌟 कहानी के मुख्य बिंदु: आत्मसंस्कार और नैतिकता का महत्व प्रेरणादायक जीवन पाठ प्रेमचंद की गहरी और विचारोत्तेजक लेखनी समाज और व्यक्ति के बीच का संबंध 
मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
Durata: 36 minuti (00:36:21)
Data di pubblicazione: 08/01/2025; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —