अनंत प्रकाश
Mahesh Sharma
Casa editrice: Publishdrive
Sinossi
कभी-कभी जीवन की दौड़ में अचानक एक सवाल भीतर उठता है — क्या यही जीवन है? यह पुस्तक उसी सवाल का उत्तर है, एक आत्मीय, सरल और मानवीय ढंग से। इसमें न कोई धार्मिक उपदेश है, न कोई आस्था का आग्रह। यह जीवन की गहराई में उतरने वाली बातचीत है — एक पुराने मित्र की तरह, जो अनुभवों से शांति और जागरूकता की राह दिखाता है। यह बताती है कि आध्यात्मिकता केवल पहाड़ों में नहीं, रोज़मर्रा के जीवन में भी पाई जा सकती है — बर्तन धोते समय, किसी की बात सुनते समय, बच्चों के साथ खेलते समय। किताब में है — छोटे, गहरे द्वार खुद से मिलने के। इसे कहीं से पढ़ना शुरू किया जा सकता है। यह कोई लेबल नहीं थोपती, बस कहती है — जहाँ हैं वहीं से शुरू करें। अगर इसका कोई एक विचार भी आपको भीतर से छू जाए, तो यही इसकी सफलता है।
