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Bistar ke Neeche ka Dosh! -...
Dharmendra Mishra
रात की खामोशी में जब रोहन ने हल्की-सी सरसराहट सुनी,तो उसे लगा यह उसका वहम है… पर सच यह था कि उसके बिस्तर के नीचे कोई और था। कोई, जो इंसान नहीं था…कोई, जो कुछ खो चुका था...उसे ढूँढने आया था इस दुनिया में। रात के सन्नाटे में जब रोहन ने बिस्तर के नीचे हल्की-सी सरसराहट सुनी, तो उसकी धड़कनें कानों में गूंजने लगीं। शायद हवा होगी… या फिर उसका वहम। लेकिन वहीँ, अंधेरे की तह से किसी ने उसकी ओर देखा। बस एक उपस्थिति। वो कुछ ढूँढ रहा था, जैसे इस दुनिया में उसका कुछ खो गया हो। रोहन को लगा... दूसरी दुनिया से आई पुकार है ?
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Maila Aanchal - Phanishwar Nath...
Phanishwar Nath Renu
‘मैला आँचल’ हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ट रुप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है। ‘मैला आँचल’ का कथानक एक युवा डॉक्टर है जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पिछड़े गाँव को अपने कार्य-क्षेत्र के रुप में चुनता है, तथा इसी क्रम में ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दुःख-दैन्य, अभाव, अज्ञान, अन्धविश्वास के साथ-साथ तरह-तरह के सामाजिक शोषण-चक्रों में फँसी हुई जनता की पीड़ाओं और संघर्षों से भी उसका साक्षात्कार होता है। कथा का अन्त इस आशामय संकेत के साथ होता है कि युगों से सोई हुई ग्राम-चेतना तेजी से जाग रही है। कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथाशिल्प के साथ-साथ भाषाशिल्प और शैलीशिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहज-स्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी। फणीश्वरनाथ रेणु जन्म : 4 मार्च, 1921; जन्म-स्थान : औराही हिंगना नामक गाँव, ज़िला पूर्णिया (बिहार)। हिन्दी कथा-साहित्य में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण रचनाकार। दमन और शोषण के विरुद्ध आजीवन संघर्ष। राजनीति में सक्रिय हिस्सेदारी। 1942 के भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में एक प्रमुख सेनानी। 1950 में नेपाली जनता को राणाशाही के दमन और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशस्त्र क्रान्ति और राजनीति में योगदान। 1952-53 में दीर्घकालीन रोगग्रस्तता। इसके बाद राजनीति की अपेक्षा साहित्य-सृजन की ओर अधिकाधिक झुकाव। 1954 में बहुचर्चित उपन्यास ‘मैला आँचल’ का प्रकाशन। कथा-साहित्य के अतिरिक्त संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोर्ताज़ आदि विधाओं में भी लिखा। व्यक
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Nayi Peedhi Ki Nayi Chunautiyan
Sanjay Arzoo
अभिजीत को समझते देर न लगी, ज़रूर यह काग़ज़ नंदा ने ही भेजा है। अभिजीत ने जिज्ञासा से काग़ज़ को लगभग झपटते हुए लिया और जल्दी से खोलकर पढ़ना चाहा। पत्र नंदा ने ही अभिजीत के लिए भेजा था। अभिजीत पढ़ने लगा- 'अभिजीत जी मुझे हृदय से दुःख हुआ आपकी पारिवारिक परिस्थितियों के बारे में जानकर। कोई भी बेटी अपने पति के घर सहृदय और नये जीवन की आसीम संभावनाओं के साथ आती है। संभवत आपकी पत्नी भी इन्हीं सब भावनाओं के साथ आपके जीवन में आयी होगी। आप निश्चित रूप से अपनी पत्नी की उन भावनाओं को समझने और सहेजने में उसी तरह विफल हुए हैं, जिस तरह आप शादी का प्रस्ताव लेकर मेरे जीवन में आये और चले गये! आप को मेरे जीवन में न आने के लिए मैं आपको 'धन्यवाद' करते हुए, आज मैं अपने आपको भाग्यवान महसूस कर रही हूँ।' -नंदा महज़ एक यात्री।
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समाज एक नज़र में
वेद प्रकाश शर्मा
इस पुस्तक का उद्देश्य सभी पाठकों को आज के युवा युवती को जागरूक करना और समाज में देहांत में हो रहे घटनाओं के बारे में जागरूक करना है और सभी को उन समस्याओं से लड़ने उनको समझना उनका समाधान करने के बारे में बताया गया है इस पुस्तक के अंदर बहुत ही गहरी और विवेकशील मुद्दों को रखा गया है तथा समाज को एक आईना दिखाने का काम किया गया है यह अनोखा और विचारणीय विषय पर लिखना का नया प्रयास है बहुत से अध्याय को पाठकों के ऊपर छोड़ गया है वह अपने विवेक से उनका उत्तर हमें दें हमें आपका उत्तर का भी इंतजार रहेगा। धन्यवाद लेखक और शायर विजय मलिक अटैला
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सुनिए ‘सफ़ेद हाथी’ – उमेश गुप्ता द्वारा लिखित व्यंग्य संग्रह ‘सफ़ेद हाथी’ एक अनोखा व्यंग्य संग्रह है जो हमारी सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था की सच्चाई को तीखे हास्य और चुटीले अंदाज़ में उजागर करता है। उमेश गुप्ता की लेखनी सरल है, पर प्रभावशाली – जो पाठक को हँसाते हुए सोचने पर मजबूर कर देती है। इस संग्रह में आपको रोज़मर्रा की जिंदगी की उन विडंबनाओं का चित्रण मिलेगा, जिनसे हम सभी परिचित हैं – लेकिन जिन पर अक्सर हम चुप रहते हैं। यदि आपको प्रेमचंद, हरिशंकर परसाई, या श्रीलाल शुक्ल की लेखनी पसंद है, तो ‘सफ़ेद हाथी’ आपको ज़रूर पसंद आएगा
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बारिश
कृतिका गुप्ता
उसने चाँद माँगा, मैंने आइना दे दिया उमेश कुमार गुप्ता की बेहतरीन कविताओं का संग्रह बारिश
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