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नानी कहे कहानी - कहानी संग्रह - cover

नानी कहे कहानी - कहानी संग्रह

डॉ. रंजना वर्मा

Casa editrice: Pencil

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Sinossi

About the book:यह मात्र एक कहानी संग्रह ही नहीं है वरन इस पुस्तक के द्वारा लेखिका द्वारा समाज में लुप्त होती जा रही भारतीय सामाजिक तथा सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का प्रयास किया गया है । प्रस्तुत सङ्ग्रह की सभी कहानियों में विभिन्न व्रत पर्व पर कही सुनी जाने वाली कथाओं को उपजीव्य बनाकर उन्हें रोचक ढंग से लिखने का प्रयास किया गया है । कहानियाँ भिन्न भिन्न विषयों पर आधारित हैं । ये कहानियाँ जनमानस में प्रचलित परम्पराओं का पुनरूत्थान करने का एक प्रयास है । कहानियों को अत्यन्त रोचक ढंग से पाठकों की अभिरुचि को ध्यान में रख कर लिखा गया है ।
Disponibile da: 06/12/2021.

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    विचित्र होली - मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी - Vichitra Holi - A Story by Munshi Premchand 
    "विचित्र होली" मुंशी प्रेमचंद की एक मार्मिक और अनोखी कहानी है, जो होली के त्योहार के सामाजिक और मानवीय पहलुओं को उजागर करती है। यह कहानी प्रेम, अपनत्व और सामाजिक भेदभाव पर गहरा संदेश देती है।  
    यह कहानी हमें यह सिखाती है कि त्योहारों का असली अर्थ केवल उत्सव नहीं है, बल्कि इंसानों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ाना है। मुंशी प्रेमचंद की इस कालजयी रचना को सुनें और समाज को एक नई दृष्टि से देखने की प्रेरणा लें। 
    🔸 कहानी का नाम: विचित्र होली  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 मुख्य विषय: होली का असली अर्थ और सामाजिक समरसता 
    🌟 कहानी के मुख्य बिंदु:  
    होली के त्योहार का मानवीय पहलू  
    सामाजिक भेदभाव को दूर करने का संदेश  
    प्रेम और सद्भाव की भावना  
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के एक महान लेखक थे। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन वे प्रेमचंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गांव में हुआ था। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं और संघर्षों को उजागर किया।  
    प्रेमचंद की प्रमुख कृतियों में 'गोदान', 'गबन', 'निर्मला', 'सेवासदन', 'रंगभूमि' और 'कफन' शामिल हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास समाज के निम्न और मध्यम वर्ग की जिंदगी की सजीव तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। वे सामाजिक न्याय, नैतिकता और मानवीय मूल्यों के पक्षधर थे। प्रेमचंद का साहित्य सरल भाषा, मार्मिक शैली और यथार्थवादी दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और इसे जनसाधारण के करीब लाया। 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनका साहित्य आज भी प्रेरणादायक है और हिंदी साहित्य का अमूल्य हिस्सा है।
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    DhaporSankh - Munshi Premchand...

    Munshi Premchand

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    ढपोरसंख - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Dhaporsankh - Munshi Premchand Ki Kahani 
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'ढपोरसंख' एक व्यंग्यात्मक रचना है, जो समाज में ढोंग, अहंकार, और दिखावे की पोल खोलती है। इस कहानी में ऐसे पात्रों का चित्रण किया गया है, जो स्वयं को महत्त्वपूर्ण दिखाने के लिए खोखले दावों और दिखावटी व्यवहार का सहारा लेते हैं।  
    प्रेमचंद ने अपने अनोखे अंदाज में समाज की इस विडंबना को उजागर किया है, जहाँ बाहरी आडंबर और असत्य का महत्व बढ़ जाता है। 'ढपोरसंख' एक ऐसी कहानी है जो आपको हँसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर कर देगी।  
    🔸 कहानी का नाम: ढपोरसंख  
    🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद  
    🔸 शैली: व्यंग्यात्मक, सामाजिक  
    🔸 मुख्य विषय: ढोंग, अहंकार, और समाज का यथार्थ  
    🔸 मुख्य पात्र: दिखावटी और खोखले व्यक्तित्व  
    🌟 कहानी के मुख्य बिंदु: 
    समाज में व्याप्त आडंबर और दिखावे पर व्यंग्य  
    खोखले दावों की सच्चाई  
    प्रेमचंद की सरल और गहन लेखनी  
    समाज को आत्मविश्लेषण का संदेश 
    मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ थे जिन्होंने अपनी कलम से समाज के सजीव चित्र प्रस्तुत किए। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन "प्रेमचंद" के नाम से वे जन-जन के लेखक बन गए। उनकी कहानियाँ जैसे "ईदगाह" और "कफन" आम इंसान के संघर्ष, भावनाओं और संवेदनाओं का दर्पण हैं। प्रेमचंद ने गरीबों, किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को अपनी कहानियों में ऐसा उकेरा कि पाठक उनके पात्रों के साथ जीने लगते हैं। उनके उपन्यास "गोदान" और "गबन" समाज में सुधार और समानता का संदेश देते हैं। आज भी उनकी रचनाएँ हमें जीवन के गहरे अर्थों से रूबरू कराती हैं।
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    वे आए थे सफाई करने… अब सबकुछ निगल जाएंगे।” 
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    “धरती की आख़िरी जंग… अपने ही सफाईकर्मियों से।” 
    “जब इलाज ही सबसे बड़ा हादसा बन जाए।” 
    “कभी थे रक्षक… अब हैं विनाशक।” 
    “बिल्डिंग ईटर” एक अनोखी साइंस-फिक्शन थ्रिलर है, जहाँ समुद्र किनारे मिले रहस्यमयी जीव शुरुआत में कचरा और प्लास्टिक खाकर मानवता के लिए वरदान बनते हैं। लेकिन जब वही जीव धीरे-धीरे पत्थर और ऊँची इमारतें निगलने लगते हैं, तो पूरी दुनिया विनाश के खतरे में आ जाती है। 
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