सत्संग – शिव के 15 सर्वोप्रिय दीपक - 15 महान आत्माओं की कथाजिन्होंने अपने प्रेम त्याग और विश्वास से स्वयं महादेव के हृदय में विशेष स्थान प्राप्त किया।
रोहन शर्मा
Erzähler रोहन शर्मा
Verlag: Smita Singh
Beschreibung
प्रेमपूर्वक वंदन, आपके हाथों में जो पुस्तक है – “सत्संग – शिव के 15 सर्वोप्रिय दीपक”, वह केवल भक्ति कथाओं का संग्रह नहीं, बल्कि एक आत्मिक आलोक यात्रा है। यह उन 15 महान आत्माओं की कथा है, जिन्होंने अपने प्रेम, त्याग, और विश्वास से स्वयं महादेव के हृदय में विशेष स्थान प्राप्त किया। ये दीपक केवल जलते नहीं, वे प्रकाश देते हैं – हमें, आपको, और इस सम्पूर्ण संसार को। हमने शिव को "भोलेनाथ", "आशुतोष", "महाकाल" और "करुणामय" कहा — लेकिन इन भक्तों के माध्यम से हम शिव को उस रूप में देखते हैं, जो अपने प्रेमियों की भक्ति पर रीझते हैं, उनके आंसुओं से पिघलते हैं, और उनके समर्पण से अभिभूत हो जाते हैं। इन कहानियों को लिखते समय, यह अनुभव बार-बार हुआ कि भक्ति एक भाषा नहीं, एक भाव है; एक लिपि नहीं, एक जीवन है। चाहे वह निष्कलंक बालक मार्कंडेय हो, या सरल वनवासी कणप्पा, या फिर विद्वान भक्त आदिशंकर — सबका पथ अलग था, पर ध्येय एक ही — महादेव की चरण वंदना। “सत्संग” का अर्थ केवल साथ बैठना नहीं, बल्कि सत् के संग रहना है – सत्य, शिव, और सुंदर के संग। इस पुस्तक में, आप न केवल कहानियाँ पढ़ेंगे, बल्कि संभवतः स्वयं से मिलेंगे, और शिव की भक्ति की उस धारा से जुड़ेंगे, जो जीवन को सरल भी बनाती है, और गहन भी। मैं, गुरु शिवराम, इस विनम्र प्रयास को आपके चरणों में समर्पित करता हूँ। यदि इस पुस्तक का कोई एक दीपक भी आपके भीतर भक्ति की ज्वाला जगा सके, तो यही मेरी साधना की पूर्णता होगी। ॐ नमः शिवाय। शिव आप पर कृपा बनाए रखें। आपका, गुरु शिवराम (साधक, सेवक, शिवप्रिय)
Dauer: etwa 2 Stunden (02:06:06) Veröffentlichungsdatum: 01.07.2025; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —

