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अफसर के रिटायरमेंट का दर्द - cover
RIPRODURRE CAMPIONE

अफसर के रिटायरमेंट का दर्द

राजकुमार केसवानी

Narratore पल्लव

Casa editrice: BuCAudio pedia Pvt Ltd

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Sinossi

 व्यंग्य लेखन से मेरा उद्देश्य लोगों का मजाक उड़ाकर उन्हें हँसी का पात्र बनाकर सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करना नही है ।  
समाज में कुछ ऐसी बातें व्याप्त है, जो आम आदमी ठगे जाने के बाद भी समझ नहीं पाता है और दिन प्रतिदिन पिसता जाता है ।  
ऐसी बातों को अपने लेखों ओैर व्यंग्यों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाना ही मेरा उद्देश्य रहा है ।  
    इसके अलावा ऐसे लोगों को भी दर्पण दिखाना रहा है जो छल कपट चोरी ,बेईमानी करने के बाद भी समझते है कि उन्होने कुछ नहीं किया है और उनके बारे में लोगों को कुछ नहीं मालूम है, जबकि समाज में इसके विपरीत उल्टा असर रहता है ।  
    हमारा भारतीय समाज दहेज प्रथा, जातिप्रथा, धार्मिकता, अंधविश्वास, गरीबी, बेकारी आदि आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, बुराईयों से ग्रस्त है,  
जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित, देश का आम आदमी है और आम आदमी को ही अपने लेखों का नायक बनाकर प्रायः व्यंग्य लिखे गये हैं । जिसमें अधिक से अधिक समस्याओं को हल सहित उठाये जाने का प्रयास किया गया हैं। 
    आस पास में व्याप्त विषमताओं चेहरे पर चेहरे लगाये, रंग बदलते चेहरे को देखकर उन्हें सरल सीधे शब्दो में बिना लाग लपेट के व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है  
और व्यंग्य ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा अपने और अपनो पर चोट करके लोगो को समझाया जा सकता है ।
Durata: circa 2 ore (01:35:07)
Data di pubblicazione: 27/06/2024; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —