एक परी की कहानी
मैकेंजी, कैटरीना बोलिन
Publisher: Katrina Bowlin-MacKenzie
Summary
एक शर्मीली छोटी लड़की परियों के साथ अकेली बैठी रहती है, जब तक कि वे उसे खुद पर विश्वास करना नहीं सिखातीं। बहुत सारे रंगीन ग्राफिक्स।
Publisher: Katrina Bowlin-MacKenzie
एक शर्मीली छोटी लड़की परियों के साथ अकेली बैठी रहती है, जब तक कि वे उसे खुद पर विश्वास करना नहीं सिखातीं। बहुत सारे रंगीन ग्राफिक्स।
शृंखला : यह मैं तुम्हारे लिए यह लिख रहा हूँ मास्सिमो और मारिया ग्राज़िया वास्तविक और साहित्यिक जीवन दोनों में एक युगल हैं, और वे सभी के लिए बिना उनकी उम्र की परवाह किए कथा-साहित्य लिखना पसंद करते हैं। यह विचार उनके द्वारा अपने बच्चों के लिए बनाई गई कहानियों को पुस्तकों में बदलने के विचार के साथ उत्पन्न हुआ था।Show book
मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानियों का मतलब है - ऐसी कहानियाँ जिनमें उलझनों के बीच भी जीवन के आनन्द और मनोरंजन की त्रिवेणी प्रवाहित हो। मुल्ला नसीरुद्दीन में वह सब कुछ है जो आज के जीवन में होता है। जिन्दगी जीने की जद्दोजहद, तिकड़म, जालसाजी, उलट-फेर, वर्चस्व का संघर्ष, मूर्खता, चतुराई और ऐसा बहुत-कुछ समेटे इन कहानियों की तासीर सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है तथा उदासी के गहन पलों में भी मनुष्य में जिजीविषा उत्पन्न करती है। यही इन कहानियों की विशेषता है कि सदियों से ये कहानियाँ जीवन्त हैं। मुल्ला नसीरुद्दीन की इन कहानियों के प्रशंसक जिस तरह हमारे देश में हैं, उसी तरह विश्व के अनेक देशों में भी हैं। मुल्ला नसीरुद्दीन एक आला इनसान था जो इस दुनिया को बुद्धिमत्ता, वाक्चातुर्य, मनोरंजन और हास्य- विनोद की तरकीबें सिखाने के लिए आया था। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह गाँव-दर-गाँव, शहर-दर-शहर होता हुआ एक देश से दूसरे देश घूमता रहा और अपने उद्देश्य की सार्थकता के लिए अपने पीछे ढेरों किस्से छोड़ गया।Show book
‘समर्पण ध्यानयोग’ संस्कार के प्रणेता सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी पिछले चौदह वर्षों से समर्पण आश्रम, दांडी में पैंतालीस दिवसीय गहन ध्यान अनुष्ठान करते आ रहे हैं। इन दिनों में पूज्य गुरुदेव सतत ध्यान की उच्चतम स्थिति में होते हैं और मनुष्य समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों के आध्यात्मिक उत्थान के लिए लिखित संदेश भेजते रहते हैं। २०२० का वर्ष पूज्य गुरुदेव ने ‘बाल वर्ष’ के रूप में घोषित किया है। वर्तमान समय में स्पर्धापूर्र्ण तनावयुक्त वातावरण में सभी बच्चे स्वस्थ, सुरक्षित एवं सुसंस्कृत रहें, इसी उद्देश्य से पूज्य गुरुदेव ने अपने इस वर्ष के अनुष्ठान के लिखित संदेशों के माध्यम से बच्चों को समर्पण ध्यानयोग संस्कार से जुड़ने के लिए प्रेरित किया है। यह पुस्तिका उनके इन्हीं संदेशों का संकलन है। बच्चे समर्पण ध्यान संस्कार ग्रहण करके नियमित ध्यान साधना द्वारा अपने अंदर छुपी ऊर्जा को सक्रिय करके खुद के सकारात्मक, शक्तिशाली सुरक्षा कवच का निर्माण कर सकते हैं और निकट भविष्य में और अधिक फैलने वाली नैराश्य जैसी भयानक बीमारी से खुद की सुरक्षा कर सकते हैं। वे सकारात्मक, संतुलित, सफल, अबोधितायुक्त, सुखमय जीवन जीते हुए इसी जीवन में कर्ममुक्त अवस्था यानी मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रक्रिया अवश्य ही नवयुग के निर्माण की यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगी। इन संदेशों के माध्यम से बच्चों के साथ-साथ बड़े भी अवश्य लाभांवित होंगे, ऐसा हमें विश्वास है।Show book
श्रेष्ठ बाल कहानियाँ चुनी हुई चुनिंदा कहानियों का संग्रह! इस किताब में तेलुगु भाषा से अनुवादित चुनिंदा कहानियाँ हैं! ये कहानियाँ बच्चों के मन एक नेक दुनिया की तस्वीर बनाती है और बेहतर इंसान बनाने का अलख जगाती है! ऑडियो में इन कहानियों को सुनना बच्चों को अलग अनुभव प्रदान करता है!Show book
‘मैला आँचल’ हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ट रुप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है। ‘मैला आँचल’ का कथानक एक युवा डॉक्टर है जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पिछड़े गाँव को अपने कार्य-क्षेत्र के रुप में चुनता है, तथा इसी क्रम में ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दुःख-दैन्य, अभाव, अज्ञान, अन्धविश्वास के साथ-साथ तरह-तरह के सामाजिक शोषण-चक्रों में फँसी हुई जनता की पीड़ाओं और संघर्षों से भी उसका साक्षात्कार होता है। कथा का अन्त इस आशामय संकेत के साथ होता है कि युगों से सोई हुई ग्राम-चेतना तेजी से जाग रही है। कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथाशिल्प के साथ-साथ भाषाशिल्प और शैलीशिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहज-स्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी। फणीश्वरनाथ रेणु जन्म : 4 मार्च, 1921; जन्म-स्थान : औराही हिंगना नामक गाँव, ज़िला पूर्णिया (बिहार)। हिन्दी कथा-साहित्य में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण रचनाकार। दमन और शोषण के विरुद्ध आजीवन संघर्ष। राजनीति में सक्रिय हिस्सेदारी। 1942 के भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में एक प्रमुख सेनानी। 1950 में नेपाली जनता को राणाशाही के दमन और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशस्त्र क्रान्ति और राजनीति में योगदान। 1952-53 में दीर्घकालीन रोगग्रस्तता। इसके बाद राजनीति की अपेक्षा साहित्य-सृजन की ओर अधिकाधिक झुकाव। 1954 में बहुचर्चित उपन्यास ‘मैला आँचल’ का प्रकाशन। कथा-साहित्य के अतिरिक्त संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोर्ताज़ आदि विधाओं में भी लिखा। व्यकShow book
दिल्ली की सुल्तान रज़िया भयानक ग़ुस्से में है. कोई उनको अजीबोग़रीब, चिढ़ाने वाले उपहार भेज रहा है - ज़नाना लिबास और सड़ियल कविताएँ. और इससे भी ख़राब वो नोट्स जो इन उपहारों के साथ आते हैं जिनमें कहा जाता है कि एक औरत होने के कारण रज़िया को सुल्तान होने का कोई हक़ नहीं है. कैसे सुलझायेगी रज़िया सुल्तान इस अजब पहेली को?Show book