पछतावा - दो बन्दर की कहानी
Dharmendra Mishra
Narrador Jyoti
Editorial: Dharmendra Mishra
Sinopsis
Story Summery: विदूषक ने दोस्त सम्पाती का साथ छोड़ दिया और इंसानों की बस्ती की ओर चल पड़ा। वहाँ चारों ओर हरे-भरे पेड़, स्वादिष्ट फल और रंग-बिरंगे बाग़-बग़ीचे थे। विदूषक को लगा – यही तो असली सुख है! लेकिन जिन बंदरों के साथ वह पहुँचा था, वे पहले से इंसानों की चालाकियों से परिचित थे। वे सब तो सुरक्षित निकल गए, मगर बेचारा विदूषक फँस गया। इंसानों ने डंडों और लाठियों से उस पर हमला कर दिया। उसका पैर टूट गया। अब न तो दोस्त रहे और न ही जीने का सहारा… अकेला विदूषक एक वृक्ष के खोखल में पड़ा अपनी आख़िरी साँसों की प्रतीक्षा करने लगा।
Duración: 6 minutos (00:05:48) Fecha de publicación: 24/09/2025; Unabridged; Copyright Year: — Copyright Statment: —

