Other books that might interest you
-
Saaye Mein Dhoop
Dushyant Kumar
जिंदगी में कभी-कभी ऐसा दौर आता है जब तकलीफ गुनगुनाहट के रास्ते बाहर आना चाहती है ! उसमे फंसकर गेम-जाना और गेम-दौरां तक एक हो जाते हैं ! ये गजलें दरअसल ऐसे ही एक दौर की देन हैं ! यहाँ मैं साफ़ कर दूँ कि गजल मुझ पर नाजिल नहीं हुई ! मैं पिछले पच्चीस वर्षों से इसे सुनता और पसंद करता आया हूँ और मैंने कभी चोरी-छिपे इसमें हाथ भी आजमाया है ! लेकिन गजल लिखने या कहने के पीछे एक जिज्ञासा अक्सर मुझे तंग करती रही है और वह है कि भारतीय कवियों में सबसे प्रखर अनुभूति के कवि मिर्जा ग़ालिब ने अपनी पीड़ा की अभिव्यक्ति के लिए गजल का माध्यम ही क्यों चुना ? और अगर गजल के माध्यम से ग़ालिब अपनी निजी तकलीफ को इतना सार्वजानिक बना सकते हैं तो मेरी दुहरी तकलीफ (जो व्यक्तिगत भी है और सामाजिक भी) इस माध्यम के सहारे एक अपेक्षाकृत व्यापक पाठक वर्ग तक क्यों नहीं पहुँच सकती ? मुझे अपने बारे में कभी मुगालते नहीं रहे ! मैं मानता हूँ, मैं ग़ालिब नहीं हूँ ! उस प्रतिभा का शतांश भी शायद मुझमें नहीं है ! लेकिन मैं यह नहीं मानता कि मेरी तकलीफ ग़ालिब से कम हैं या मैंने उसे कम शिद्दत से महसूस किया है ! हो सकता है, अपनी-अपनी पीड़ा को लेकर हर आदमी को यह वहम होता हो...लेकिन इतिहास मुझसे जुडी हुई मेरे समय की तकलीफ का गवाह खुद है ! बस...अनुभूति की इसी जरा-सी पूँजी के सहारे मैं उस्तादों और महारथियों के अखाड़े में उतर पड़ा !
Show book -
Pratinidhi Kavitayein Kedarnath...
Kedarnath Singh
धरती और आकाश की तरह, अग्नि और वर्षा की तरह, प्रेम और करुणा की तरह , गाँव और नगर की तरह केदारनाथ सिंह की कविता में शब्द और अर्थ हैं. उनके अपने शब्दों में वह काशी की तरह है, सभ्यता की स्मृति, उसका जीवन और उसकी समीक्षा. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित और देश विदेश की अनेक भाषाओं में अनूदित केदारनाथ सिंह भारतीय सभ्यता और काव्य का उजला नक्षत्र है.
Show book -
Pratinidhi Kavitayein: Parveen...
Parveen Shakir
पाकिस्तान की नयी उर्दू शायरी में परवीन शाकिर की गणना प्रेम की नाजुक मूर्ति के रूप में होती हैं. परवीन का प्रेम अपने अद्वितीय अंदाज में 'नर्म सुखन' बनकर फूटा है और अपनी 'खुशबू' से उसने उर्दू शायरी की दुनिया को सराबोर कर दिया है. पाकिस्तान की ही प्रसिद्ध कवयित्राी फहमीदा रियाज के अनुसार, 'परवीन के शेरों में लोकगीतों की सी सादगी और लय भी है और क्लासिकी मौसीकी की नफ़ासत और नज़ाकत भी. उसकी नज्में और ग़ज़लें भोलेपन और सॉफिस्टिकेशन का दिलआवेज़ संगम हैं. परवीर शाकिर की शायरी का केन्द्रीय विषय 'स्त्राी' है. प्रेम में टूटी हुई, बिखरी हुई-खुद्दार स्त्राी. लेकिन उनकी शायरी की यह कोई सीमा नहीं है. वस्तुतः परवीन की शायरी प्रेम की एक ऐसी लोरी है जो अपने मद्धिम-मद्धिम सुरों से सोते हुओं को जगाने का काम करती है. परवीन की शायरी में रूमानियत भी है और गहरी ऐंद्रिकता भी, पर कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि सामने की दुनिया सिर्फ एक सपना है. अपनी सूक्ष्म यथार्थपरकता के कारण ही मुख्य रूप से 'स्त्राी' और 'प्रेम' को आधार बनाकर लिखी गई ये कविताएँ अनुभूति के व्यापक द्वार खोलती हैं.
Show book -
Khamosh Adalat Jaari Hai
Vijay Tendulkar
देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मराठी लेखक विजय तेंदुलकर का यह नाटक भारत के महानतम आधुनिक नाटकों में से एक माना जाता है और पिछले कई दशकों में इसकी प्रस्तुतियाँ देश की अलग अलग भाषाओं में हुई हैं. सत्तर के दशक के पहले प्रदर्शन से अब तक इस नाटक की लोकप्रियता और प्रासंगिकता कभी कम नहीं हुई है. स्टोरीटेल की थिएटर सीरीज़ में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और यूनिकॉर्न एक्टर्स स्टूडियो के वाचिक अभिनय से सजी यह प्रस्तुति इसका पहला ऑडियो मंचन है.इसका निर्देशन प्रसिद्ध अभिनेत्री गौरी देवल ने किया है. संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध रंगकर्मी टीकम जोशी इसमें एक प्रमुख भूमिका है.
Show book -
Pratinidhi Kavitayen Nagarjun
Nagarjun
जहाँ मौत नहीं है, बुढ़ापा नहीं है, जनता के असन्तोष और राज्यसभाई जीवन का सन्तुलन नहीं है वह कविता है नागार्जुन की। ढाई पसली के घुमन्तु जीव, दमे के मरीज, गृहस्थी का भार-फिर भी क्या ताकत है नागार्जुन की कविताओं में! और कवियों में जहाँ छायावादी कल्पनाशीलता प्रबल हुई है, नागार्जुन की छायावादी काव्य-शैली कभी की खत्म हो चुकी है। अन्य कवियों में रहस्यवाद और यथार्थवाद को लेकर द्वन्द्व हुआ है, नागार्जुन का व्यंग्य और पैना हुआ है, क्रान्तिकारी आस्था और दृढ़ हुई है, उनके यथार्थ-चित्रण में अधिक विविधता और प्रौढ़ता आई है।...उनकी कविताएँ लोक-संस्कृति के इतना नजदीक हैं कि उसी का एक विकसित रूप मालूम होती हैं। किन्तु वे लोकगीतों से भिन्न हैं, सबसे पहले अपनी भाषा-खड़ी बोली के कारण, उसके बाद अपनी प्रखर राजनीतिक चेतना के कारण, और अन्त में बोलचाल की भाषा की गति और लय को आधार मानकर नए-नए प्रयोगों के कारण। ऑडियो में इन कविताओं को सुनना नागार्जुन की कक्षा में बैठने जैसा है! ज़रूर सुनें!
Show book -